उत्तराखंड क्रांति दल के जिलाध्यक्ष राजीव देशवाल ने उक्रांद कार्यकर्ताओं पर लगे मुकदमे वापस लेने और पुलिस कर्मियों को उचित ग्रेड पे की मांग की ।
साथ ही चेतावनी भी दी कि यदि उक्रांद कार्यकर्ताओं पर लगे मुकदमें वापस न लिए गए और पुलिसकर्मियों के साथ न्याय न हुआ तो उत्तराखंड क्रांति दल सड़को पर उतरने पर मजबूर होगी ।
साथ ही उक्रांद के कार्यकर्ताओं से मुकदमे वापिस लेने और पुलिस कर्मियों की जायज मांगों को पूरी करने के लिए उक्रांद के केंद्रीय महामंत्री सुनील उनियाल और पार्षद रवि वाल्मीकि व राकेश भट्ट के साथ एक दिवसीय धरने पर बैठे ।
उत्तराखंड क्रांति दल के जिलाध्यक्ष राजीव देशवाल ने कहा कि, उत्तराखंड सरकार द्वारा 2001-2002 और उसके बाद में भर्ती हुए पुलिस कर्मियों को 4600 ग्रेड पे दी जाती रही हैं ।
उत्तराखंड राज्य के 20 वर्ष पूरे होने के उपरांत प्रदेश सरकार ने 4600 ग्रेड पे को बढ़ाने के स्थान पर घटाकर 2800 ग्रेड पे कर दिया ।
उन्होंने प्रदेश सरकार से पुलिसकर्मियों को शीघ्र 4600 ग्रेड दिए जाने के साथ-साथ भविष्य में रिटायर होंने वाले पुलिसकर्मियों को पेंशन एवं सप्ताह में एक दिन की छुट्टी देने की मांग भी की।
सरकार द्वारा पुलिस कर्मियों का ग्रेड पे घटाकर कम करने पर उत्तराखंड क्रांति दल के कार्यकर्ता पोलिसकर्मियों को सरकार से बढ़ा हुआ ग्रेट पे दिलवाने की मांग को लेकर सी एम आवास जा रहे थे, लेकिन उत्तराखंड सरकार द्वारा दमनकारी नीति अपनाते हुए उक्रांद कार्यकर्ताओं को रुकवाकर उन पर मुकदमा दर्ज करवा दिया।
उत्तराखंड क्रांति दल के जिलाध्यक्ष राजीव देशवाल ने कहा कि, उत्तराखंड क्रांति दल सरकार की इस दमनकारी नीति की घोर निंदा करता है।
उन्होंने कहा कि,जिन पुलिसकर्मियों पर हर कार्य का भार होता है सर्दी हो या गर्मी, धूप हो या बरसात, दिन हो या रात, हर समय उनके कंधों पर जिम्मेदारी का भार होता है।
जहां हम सभी कोरोना महामारी में अपने एवं अपने परिवार की जान बचाने के लिए घरों में बैठे है,ऐसे समय में पुलिसकर्मी भाई अपनी एवं अपने परिवार की जान जोखिम में डालकर कर सबकी रक्षा करते हुए कर्तव्य निभा रहे है।
ऐसे में सरकार द्वारा उनका मनोबल बढ़ाना चाहिए था,लेकिन ठीक उल्टा किया। जिससे आर्थिक नुकसान तो हुआ ही उससे भी बढ़कर मानसिक कष्ट मिला, जो आर्थिक कष्ट से ज्यादा घातक है।
राजीव देशवाल में कहा कि उत्तराखंड क्रांति दल तब तक आवाज उठाता रहेगा जब तक पुलिस कर्मचारियों की मांगे पूरी नहीं होती और उक्रांद कार्यकर्ताओं पर लगे मुकदमे वापस नहीं होते। यदि सड़कों पर उतरने की आवश्यक पड़ी तो वह भी किया जायेगा।