देहरादून। उत्तराखण्ड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत का विधायकों की खरीद फरोख्त को लेकर किए गए स्टिंग के बाद समाचार प्लस चैनल की सीईओ उमेश कुमार भाजपा के दुलारे बन गए थे और हरीश रावत की सत्ता ताश के पत्तों की तरह विधानसभा चुनाव में बिखर गई तो सत्ता में आई त्रिवेन्द्र सरकार भी उमेश कुमार को मसीहा मानने लगी और जब राजधानी के एक होटल में उमेश के बेटे का जन्मदिन की पार्टी आयोजित हुई तो सरकार के मुखिया के साथ उनकी कैबिनेट के दिग्गज मंत्री भी शामिल होने पंहुचे थे।
उमेश ने मुख्यमंत्री का गेट पर वेलकम किया और उन्हें पार्टी स्थल तक अपने साथ लाए, जहां सीएम ने उमेश के बेटे को आर्शीवाद दिया। पार्टी में मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने उमेश के बातचीत के दौरान ठहाके भी लगाए। हैरानी वाली बात है कि जब भाजपा की सरकार सत्ता में आई थी तो उमेश कुमार सरकार का दुलारा था लेकिन कुछ अर्से बाद ऐसा क्या हो गया कि मुख्यमंत्री की आंखों में उमेश ब्लैकमेलर के रूप में नजर आने लगा?
उमेश कुमार ने दिया जबाब
यह सबकुछ तब हुआ जब यह राज खुला कि उमेश ने मुख्यमंत्री के दोस्त, भाई व भतीजे के भ्रष्टाचार को लेकर स्टिंग कर रखे है? भ्रष्टाचार के स्टिंग होने के बाद उमेश को भले ही सरकार ने ब्लैकमेलर साबित करने के लिए उनपर ब्लैकमेलिंग का दाग लगाया हो लेकिन पुलिस को जांच के दौरान ऐसे कोई सबूत नहीं मिले जिससे कि यह साबित हो सके कि उमेश ने ब्लैकमेलिंग करने का षड़यंत्र रचा था।
स्टिंग प्रकरण में सीबीआई की रिपोर्ट के बाद त्रिवेन्द्र रावत ने जिस तरह से हरीश रावत पर तंज कसते हुए यह कहा था कि ब्लैक मार्केटिंग करने वालों को अगर वह साथ रखेंगे तो ऐसा तो होगा ही।
हरीश रावत ने पूछा सवाल
अब हरीश रावत ने भी सोशल मीडिया पर सीएम से सवाल पूछा है कि उमेश के बेटे की बर्थडे पार्टी में वे समूची सरकार के साथ गए थे तो उस समय उमेश सदाचारी है या जो मुझे सलाह दी है, उन लोगों में सम्मिलित है। किसी ने सही ही कहा है कि तस्वीरें झूठ नहीं बोलती और तस्वीरों में व्यक्ति के हाव भाव को देखकर इस बात का अंदाजा भी लग जाता है कि वह कैसा महसूस कर रहा है।
उमेश कुमार के बेटे की बर्थडे पार्टी में मौजूद जो भी व्यक्ति कैमरे में कैद हुआ उन्हें देखकर यही प्रतीत हुआ कि वह प्रसन्न है और उमेश का निमंत्रण पाकर अपने आपको गौरवांवित महसूस कर रहे है? सवाल जस का तस यह बना हुआ है कि जो उमेश एक समय पर सरकार का दुलारा था, वह आखिर कब ब्लैकमेलर बन गया?