कोरोना काल में कामकाज बंद होने से और साथ ही बहारी राज्यों से लौटे प्रवासियों के कारण उत्तराखंड में बेरोजगारी के दर अत्यधिक बढ़ गयी हैं। सरकार के बेरोजगारी के आंकड़ों को कम करने के सारे प्रयास विफल हो रहे हैं।
सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनामी के मुताबिक 2016-17 में बेरोजगारी दर 1.6 थी और अब यह 10.99 पहुंच गई।
कोरोना काल के 2 साल में बेरोजगारी में अधिक बढ़ोतरी हुई हैं,इन दो सालो में बेरोजगारी की औसत दर 5.32% से 10.99% हो गई ।
हैरान करने वाली बात ये हैं कि,कोरोना काल से पहले भी उत्तराखंड में बेरोजगारी दर बढ़ती ही जा रही थी ।जिसका असर लॉकडाउन के बाद कामकाज ठप होने और काम के अभाव में घर लौटे प्रवासियों के चलते बेकाबू होती बेरोजगारी से दिखा।
कोरोना की पहली लहर के बाद उत्तराखंड उभरता नजर आया ही था कि कोरोना की दूसरी लहर ने बेरोजगारी दर को दहाई के आंकड़े तक पहुंचा दिया।
बेरोजगारी की दर बढ़ने का एक बड़ा कारण कोरोना काल में चौपट होते उद्योग धंधे भी हैं। 40 फीसदी उद्योग धंधे बंद होने की कगार पर हैं।
हालाँकि रोजगार के अभाव में घर बैठे कुछ लोगों ने रोजगार के नए विकल्प तलाश लिए हैं ।
बेरोजगार ने मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना, प्रधानमंत्री स्वरोजगार योजना,मुख्यमंत्री सौर ऊर्जा स्वरोजगार योजना जैसी योजनाओं के तहत अपने कौशल का इस्तेमाल कर गांव अथवा कस्बों में नए व्यवसाय की शुरुआत कर स्वरोजगार की ओर कदम बढ़ाए हैं।
देखना यह होगा कि सरकार उत्तराखंड में बेकाबू होते बेरोजगारी के आंकड़ों को कैसे संभालती हैं !
बेरोजगारी के आंकड़ों पर एक नजर:-
मार्च 2016 से 2017 – 1.61 %
मार्च 2017 से 2018 – 1.02%
मार्च 2018 से 2019 – 2.79%
मार्च 2019 से 2020 – 5.32%
मार्च 2020 से अब तक 10.99%