अरुण खन्ना
उत्तर प्रदेश से दिहाड़ी मजदूरी करने के लिए आए मजदूर यहां फस गए हैं और उन्हें अपने जीवन यापन के लिए राशन भी बमुश्किल मिल पा रहा है।
यह लोग देहरादून में रेस कोर्स के पास लगभग 50-60 की संख्या में रह रहे हैं।
इन युवकों का कहना है कि उनके सामने भूखे मरने की नौबत आ गई है और ऐसे में वे पैदल ही उत्तर प्रदेश के लिए निकल जाएंगे।
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आज इनमें से एक- दो युवक अपनी गुहार लगाने के लिए जिलाधिकारी कार्यालय आए तो फिर उत्तरप्रदेश से मजदूरी करने आये मजदूरों को राशन और कोई सुविधा न मिलने की बात उन्ही की जुबानी सामने आई है।
जिस कारण उन्हें उत्तरप्रदेश मे अपने घरों की याद सता रही है। अपने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और अमेठी की सांसद मंत्री स्मृति ईरानी की याद करते हुए वे कहते हैं कि उन्हें पैदल अपने घर जाने को विवश होना पड़ेगा।
आज इनमें से एक- दो युवक अपनी गुहार लगाने के लिए जिलाधिकारी कार्यालय आए तो फिर उत्तरप्रदेश से मजदूरी करने आये मजदूरों को राशन और कोई सुविधा न मिलने की बात उन्ही की जुबानी सामने आई है।
जिस कारण उन्हें उत्तरप्रदेश मे अपने घरों की याद सता रही है। अपने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और अमेठी की सांसद मंत्री स्मृति ईरानी की याद करते हुए वे कहते हैं कि उन्हें पैदल अपने घर जाने को विवश होना पड़ेगा।
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यहां फंसे हुए उन मजदूरों की ये लिस्ट उन्होंने लखीबाग चौकी में दी थी। जिसकी हकीकत आपके सामने है।
इन युवकों का कहना है कि इन्हें जरूरत से बेहद कम राशन मिलता है और कहा जाता है कि “इसी मे हफ्ते भर काम चलाओ ! भला ऐसे कैसे होगा।” अमेठी के रहने वाले एक मजदूर ने बताया कि जब वे लोग राशन के लिए चौकी जाते हैं तो उन्हें यह कहकर भगा दिया जाता है कि क्या यहां राशन की दुकान खुली है ! यह कहकर उन्हें डंडा मार कर भगा दिया जाता है।”
युवक ने बताया कि उसने अपने प्रयासों से सब की लिस्ट बनाकर कोतवाली और चौकी मे दी तथा एक-एक बार का राशन दिलाया, लेकिन “पुलिस वाले 5 दिन का राशन देकर कहते हैं कि अब 15 दिन यहां मत आना।” ऐसे कैसे चलेगा !” युवक ने कहा कि वे किसी तरह से उत्तर प्रदेश पहुंच जाएं तो फिर वहां पर तो “वहां के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और स्मृति ईरानी सब को बिठाकर खिला रहे हैं, लेकिन यहां के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत तो कुछ भी नहीं कर रहे हैं।”
“यदि उन्हें भोजन मिल जाता तो फिर भला वे क्यों जाना चाहेंगे।”
बहरहाल इन मजदूरों की गुहार पर अभी तक पुलिस के उच्चाधिकारियों ने भी कोई रिस्पांस नहीं दिया है। देखना यह है कि फाका कशी के हालात इन्हें किस डगर पर ले जाते हैं।