देहरादून: श्री गुरु राम राय विश्वविद्यालय (एसजीआरआरयू) में स्पीक मेके द्वारा आयोजित भारतीय शास्त्रीय संगीत श्रृंखला के तहत एक भव्य संगीतमय कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में प्रसिद्ध सितार वादक उस्ताद अबीर हुसैन और तबला वादक पंडित मिथिलेश झा की जुगलबंदी ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।
स्पीक मेके भारतीय शास्त्रीय कला और संस्कृति को संरक्षित एवं प्रचारित करने के उद्देश्य से विभिन्न कार्यक्रम आयोजित करता है। इसी श्रृंखला के तहत शनिवार को एसजीआरआरयू में यह विशेष संगीतमय कार्यक्रम आयोजित किया गया।
दीप प्रज्वलन के साथ कार्यक्रम का शुभारंभ
कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्वलन के साथ हुआ, जिसमें विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. डॉ. कुमुद सकलानी, कुलसचिव डॉ. लोकेश गंभीर, आईआईसी निदेशक प्रो. डॉ. द्वारिका प्रसाद मैथानी, कार्यक्रम संयोजक प्रो. डॉ. पूजा जैन और छात्र कल्याण अधिष्ठाता प्रो. डॉ. मालविका कांडपाल ने भाग लिया।
इस अवसर पर विश्वविद्यालय के प्रेसीडेंट श्री महंत देवेंद्र दास जी महाराज ने आयोजकों को शुभकामनाएँ दीं और भारतीय शास्त्रीय संगीत के संरक्षण एवं प्रसार पर बल दिया।
भारतीय शास्त्रीय संगीत: एक आध्यात्मिक विरासत
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कुलपति प्रो. डॉ. कुमुद सकलानी ने कहा, “भारतीय शास्त्रीय संगीत न केवल मनोरंजन का माध्यम है, बल्कि यह ध्यान, आध्यात्मिकता और मानसिक शांति प्रदान करने का भी एक महत्वपूर्ण साधन है।” उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि नई शिक्षा नीति के तहत विश्वविद्यालय में भारतीय ज्ञान परंपरा पर आधारित विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं।
आईआईसी निदेशक प्रो. डॉ. द्वारिका प्रसाद मैथानी ने भारतीय ज्ञान परंपरा की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए कहा, “हमारी परंपरा वेदों, उपनिषदों, दर्शन, योग, आयुर्वेद, ज्योतिष, संगीत, कला, गणित और विज्ञान जैसे विषयों को समाहित करती है। इसका प्रभाव शिक्षा, आध्यात्मिकता और व्यावहारिक जीवन में स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है।”
उस्ताद अबीर हुसैन और पंडित मिथिलेश झा ने बिखेरी संगीत की अनूठी छटा
कार्यक्रम में उस्ताद अबीर हुसैन और पंडित मिथिलेश झा ने अपनी ध्रुतलय वादन शैली से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। उनकी जुगलबंदी ने संगीत प्रेमियों को भारतीय शास्त्रीय संगीत की गहराई और समृद्धि का अनुभव कराया।
धन्यवाद प्रस्ताव के साथ कार्यक्रम का समापन
कार्यक्रम का समापन प्रो. डॉ. पूजा जैन द्वारा धन्यवाद प्रस्ताव के साथ हुआ। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के सभी स्कूलों के डीन, विभागाध्यक्ष, शिक्षक और सैकड़ों छात्र-छात्राएँ मौजूद रहे.