वर्तमान परिप्रेक्ष्य में जैव संसाधन और उसकी उपयोगिता विषय पर देवभूमि उत्तराखंड यूनिवर्सिटी में एक कार्यशाला का आयोजन किया गया, जिसमें जाने माने विशेषज्ञ डॉ. पुलोक मुखर्जी ने अपने विचार व्यक्त किये साथ ही रूपांतरण और उत्पादन से सम्बद्ध नयी तकनीकी और ग्रीन टेक्नोलॉजी पर चर्चा की|
शनिवार को मांडूवाला स्थित देवभूमि उत्तराखंड यूनिवर्सिटी में एक कार्यशाला का आयोजन किया गया, जिसमें इंस्टिट्यूट ऑफ़ बायोरिसोर्सेज एंड सस्टेनेबल डेवलपमेंट, मणिपुर के निदेशक और जाने माने विशेषज्ञ प्रोफ़ेसर डॉ. पुलोक मुखर्जी मुख्य अतिथि के तौर पर उपस्थित हुए| कार्यक्रम के उदघाटन अवसर पर उन्होंने जैव संसाधन और सतत विकास पर अपने विचार व्यक्त किये| उन्होंने कहा कि जैव संसाधनों को जैव-अर्थव्यवस्था के केंद्रों में से एक माना जाता है| ये रोजगार के सृजन, व्यक्तियों और उद्योगों के लिए पर्याप्त आय में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं जोकि सामूहिक रूप से देश की अर्थव्यवस्था में योगदान देते हैं| परन्तु समय के साथ इनके कार्यान्वयन में भी बदलाव आया है| डॉ. मुखर्जी ने बायोमास, जैविक अपशिष्ट उपचार, बायोएनेर्जी, बायोट्रांसफॉर्म और बायोरिसोर्स सिस्टम विश्लेषण में नयी तकनीकी के प्रयोग और ग्रीन टेक्नोलॉजी अर्थात पर्यावरण के अनुकूल तरीके से कंप्यूटर और कंप्यूटर से संबंधित उत्पादों के डिजाइन, निर्माण, संचालन पर भी अपने विचार व्यक्त किये| साथ ही, इस दिशा में छात्रों के भविष्य को उज्ज्वल बताया| कार्यशाला में विश्वविद्यालय की कुलपति प्रोफ़ेसर डॉ. प्रीति कोठियाल ने जैव संसाधन के क्षेत्र में नए अनुसंधानों पर चर्चा की| इस दौरान डीन रिसर्च एंड डेवलपमेंट डॉ. संजय विजय, डीन एकेडमिक्स डेवलपमेंट एंड इनोवेशन डॉ. संदीप शर्मा सहित अन्य गणमान्य व्यक्ति, शिक्षकगण आदि उपस्थित थे|