उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय ने एक बार फिर से उत्तराखंड शासन को ठेंगा दिखा दिया है। एक सप्ताह में दो बार आदेश के बावजूद कुलसचिव डा. राजेश अदाना समेत पांच चिकित्साधिकारियों को कुलपति ने रिलीव नहीं किया है। इतना ही नहीं बुधवार से शुरू हुए फैकल्टी के साक्षात्कार में भी कुलसचिव को कमेटी में शामिल किया गया है।
दिनाँक 28-12-22 को उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय मे संविदा शिक्षकों की नियुक्ति हेतु आयोजित वाक इन इन्टरव्यू मे कुलपति डॉ सुनील कुमार जोशी द्वारा तथाकथित अवैध प्रभारी कुलसचिव डॉ राजेश कुमार आधाना, जिन्हें शासन द्वारा निर्गत शासनादेश मे अंतिम चेतावनी के साथ 24 घण्टे के अन्दर अपने मूल तैनाती स्थल पर कार्यभार ग्रहण करने के निर्देश दिए गए थे,उन्हें शासन के आदेशों की धज्जियाँ उड़ाते हुए अवैध रूप से साक्षात्कार समिति मे बैठाया गया।
जब शासन इन्हें कुलसचिव मानता ही नहीं जो आदेश में भी लिखा है की सभी कार्य अरुण त्रिपाठी और संजीव पाण्डेय के माध्यम से हो तो कुलपति कैसे इन्हें कमिटी में रख रहे है।विवि से जुड़े कई लोग ही इस पर सवाल उठा रहे हैंl
साथ ही कुलपति ने मुख्यमंत्री और सचिव को पत्र लिखकर एनसीआइएसएम की सशर्त मान्यता का हवाला देकर चिकित्साधिकारियों की संबद्धता बनाए रखने को कहा था, लेकिन शासन ने यह अनुरोध ठुकरा दिया।