स्टोरी(कमल जगाती, नैनीताल):- ऊत्तराखण्ड उच्च न्यायालय ने राज्य में उपनल के माध्यम से पूर्व सैनिकों और उनके आश्रितों को नौकरी देने संबंधी शासनादेश को समानता के सिद्धांत के खिलाफ मानते हुए सरकार से जवाब मांगा है। जनहित याचिका में सरकारी नौकरी को आम बेरोजगारों की जगह 100% पूर्व सैनिकों और उनके आश्रितों को देने संबंधी शासनादेश पर रोक लगाने की प्रार्थना की गई थी।
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता दुष्यंत मैनाली ने बताया कि वर्ष 2018 में राज्य सरकार ने एक नोटिफिकेशन जारी कर कहा था कि राज्य में सभी आउटसोर्स नौकरियां उपनल के माध्यम से जारी की जाएंगी। इसके अनुसार पूर्व सैनिकों और उनके आश्रितों को सौ प्रतिशत आरक्षण दिया जाएगा।
इस नीति के अनुसार रोजगार कार्यालय में पंजीकृत बेरोजगारों को राज्य की तरफ से कोई नौकरी नहीं दी जाएगी।
इस शासनादेश को हल्द्वानी निवासी समाजसेवी अमित खोलिया ने उच्च न्यायालय में जनहित याचिका के माध्यम से चुनौती दी।
सुनवाई के बाद मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी और न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ ने सरकार से कहा कि सौ प्रतिशत आरक्षण नहीं किया जा सकता, क्योंकि ये समानता के सिद्धांत के खिलाफ है।
न्यायालय ने कहा कि ये आम बेरोजगारों के साथ नाइंसाफी है। न्यायालय ने इस 2018 कि जनहित याचिका में सरकार से जवाब मांगा है और इस शासनादेश पर स्टे लगाने पर विचार करने की बात कही है।