अल्मोड़ा। देश में आज चारों ओर सड़कों के जाल की चर्चाएं हैं। लेकिन पहाड़ी राज्य उत्तराखंड में आज भी कई सारे ऐसे क्षेत्र हैं, जहां आजादी के 74 साल बाद भी सड़क आज तक नहीं पहुंच पाई।
उत्तराखंड में गर्भवती महिलाओं, बीमार व्यक्तियों और आपातकालीन स्थिति में अस्पताल पहुंचने के लिए डांडी-कांठी का सहारा लेना पड़ता है। लोगों को कंधों पर मरीज को कई-कई किलोमीटर ले जाना होता है।
अल्मोड़ा जिले में भी ऐसा ही देखने को मिला, जहां भैंसियाछाना ब्लॉक के रीठागाड़ क्षेत्र की महिला ने आधी रात को जंगल मे पैदल रास्ते पर टार्च और मोबाइल की रोशनी में बच्चे को जन्म दिया।
जानकारी के अनुसार भैंसियाछाना ब्लॉक मुख्यालय से करीब 20 किमी दूर स्थित कनारीछीना के पतलचौरा गांव निवासी प्रियंका बाणी उम्र 21 वर्ष पत्नी राजेंद्र सिंह को मंगलवार रात्रि प्रसव पीड़ा हुई।
सड़क सुविधा ना होने से परिजन गर्भवती महिला को कंधों पर डोली में लेकर स्वास्थ्य केंद्र धौलछीना ले जाने लगे, रात्रि में बारिश भी हो रही थी, कुछ दूर पहुंचने पर महिला को तेज प्रसव पीड़ा होने लगी।
जिस पर गांव की कुछ बुजुर्ग महिलाओं और आशा की मदद से पैदल रास्ते में टार्च और मोबाइल की रोशनी में बारिश के बीच ही बच्चे को जन्म दे दिया। शुक्र है कि, जच्चा-बच्चा दोनों स्वस्थ हैं।