रिपोर्ट—– महेश चंद्र पंत
हरिद्वार काली कमली धर्मशाला में चिन्हित राज्य आंदोलनकारी समिति रजिस्टर्ड उत्तराखंड की एक अहम बैठक हुई। जिसमें उत्तराखंड के विभिन्न जिलों से समिति से जुड़े कई पदाधिकारियों और महिलाओं ने भाग लिया।
इस अवसर पर एक सभा का आयोजन किया गया । सभा का संचालन भीम सेन रावत ने किया सभा की अध्यक्षता जे. पी. बडोनी ने की।
बैठक में आंदोलनकारियों ने राज्य निर्माण के 20 वर्ष पश्चात भी आंदोलनकारियों के व उनके आश्रितों के बारे में विभिन्न सरकारों द्वारा पूर्व में की गई घोषणाओं व शासनादेशों का अनुपालन न करने तथा आंदोलनकारियों व उनके आश्रितों को सरकारी नौकरी में 10% आरक्षण का मामला लटकाए रखने, एक समान मानदेय ,उत्तराखंड में नजूल भूमि पर बसे हुए राज्य आंदोलनकारियों को आवास एवं व्यवसाय हेतु निशुल्क भूमि उपलब्ध कराने , राज्य आंदोलनकारियों के शिक्षा ग्रहण कर रहे आश्रितों को सरकारी विद्यालयो , तकनीकी इंस्टिट्यूट वह निजी संस्थानों में निशुल्क शिक्षा उपलब्ध कराने, स्थानीय औद्योगिक दिखाएं व सिडकुल मैं स्थापित औद्योगिक संस्थानों में उत्तराखंड के स्थाई व मूल निवासियों को 80% रोजगार सुनिश्चित करवाने का शासनादेश करने, चिन्नहिकरण से वंचित आंदोलनकारियों का चिन्हिकरण करने, आंदोलन व राज्य निर्माण के बाद भी कई आंदोलनकारियों को विभिन्न मामलों हुए उत्पीड़न अत्याचार के मामलों में न्याय न मिलने पर रोष तथा विभिन्न कई अन्य मुद्दों चर्चा की गई व इन मांगों को लेकर संघर्ष की रूपरेखा भी बनाई गई।
उपस्थित सभी पदाधिकारियों और विभिन्न जिलों से आए हुए अध्यक्षों तथा मौजूद सदस्यों ने समिति के बैनर तले संघर्ष करने का निर्णय लिया है।
समिति के अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह रावत ने इस अवसर पर बताया चिन्हित राज्य आंदोलनकारी समिति (रजि.)उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारियों का
एकमात्र पंजीकृत संगठन है। इस समिति के बैनर तले आंदोलनकारियों के सामूहिक हितों की सुरक्षा व उनकी जायज मांगों को लेकर कई बार संघर्ष किए गए हैं।
सरकार ने बार-बार आश्वासन देकर मामले को लटकाने का प्रयास किया है राज्य बने हुए 20 साल भर के बाद भी शहीद हुए आंदोलनकारियों को न्याय नहीं मिल पाया है।
विभिन्न सरकारें मुजफ्फरनगर मसूरी खटीमा मैं शहीद हुए आंदोलनकारियों की पुण्यतिथि ओं पर फूल मालाएं अर्पित करने तक ही सीमित रहे हैं और कभी भी राज्य आंदोलनकारियों शहीदों व उनके आश्रितों के विषय में सरकार ने गंभीरता से विचार नहीं किया इसलिए अपना एक और आंदोलन करने का समय आ गया है।
श्री रावत ने सभी अन्य राज्य आंदोलनकारी अध्र्य संगठनों से भी अनुरोध किया है कि एक बैनर के नीचे एकत्र होकर के सामूहिक संघर्ष करें क्योंकि अलग-अलग बैंनरों के माध्यम से संघर्ष करने का फायदा सरकार उठा रही है।
समिति अध्यक्ष ने बताया कि पूर्व मे समिति की ओर से शहीद आंदोलनकारियों तथा चिन्हित राज्य आंदोलनकारियों व उनके आश्रितों के सामूहिक हितों से जुड़े हुए मामलों के निस्तारण हेतु सरकार को एक विज्ञापन दिया गया था और यह भी चेतावनी दी गई थी यदि इस सरकार ने सकारात्मक निर्णय नहीं लिया गया तो 2 अक्टूबर से मुख्यमंत्री आवास के सामने वह , आमरण अनशन को बाध्य हो जाएंगे।
श्री रावत ने कहा कि 2 अक्टूबर को राज्य आंदोलनकारी उत्तराखंड में *काला दिवस* के रूप में मनाएंगे।
समिति के विस्तार हेतु कई लोगों को उत्तराखंड जिला मंडल स्तर पर जिम्मेदारियां सौंपी गई है।
विभिन्न शहीद स्थलों रामपुर तिराहा , मसूरी खटीमा, श्री यंत टापू में हुए शहीदों से लाए गए मिट्टी कलसों पर पुष्प अर्पित किए गए तथा अमावस्या के उन कदमों में लाई गई मिट्टी में वृक्षारोपण किया जाएगा।
सभा में महेश गौड़ ,चंद्रशेखर भट्ट , कमला पांडे, सुषमा भंडारी , गोविंद सिंह रावत , लीला ढोडीयाल ,कमला पांडे,अनुं पंत , लता तिवारी , धर्मवीर भारती , विजय सिंह ,आनंद सिंह रावत आदि उपस्थित रहे।