लंबे समय से निलंबन झेल रहे समाज कल्याण विभाग के संयुक्त निदेशक गीता राम नौटियाल को आखिरकार सरकार को बहाल करना ही पड़ा। गौरतलब है कि कोई भी आरोप साबित न होने पर पहले भी इनको शासन ने मई 2020 मे बहाल कर दिया था, लेकिन इसके बाद प्रक्रियात्मक त्रुटि का हवाला देते हुए शासन द्वारा गीताराम नौटियाल को फिर से निलंबित कर दिया गया था।
गौरतलब है कि किसी भी कर्मचारी को लंबी अवधि तक निलंबित रखे जाने का स्पष्ट नियम निर्धारित है।
पुलिस चार्जशीट के आधार किसी भी कर्मचारी या अधिकारी को लंबे समय तक बिना किसी कारण के निलंबित नहीं रखा जा सकता। कर्मचारी के विरुद्ध यदि चार्जशीट न्यायालय में दाखिल कर दी गई है तो केवल कोर्ट के निर्णय के आधार पर ही किसी को दंडित किया जा सकता है।
शासन के आदेशों में यह भी स्पष्ट व्यवस्था है कि किसी भी कर्मचारी को 3 माह के अंतर्गत अनिवार्य रूप से साक्ष्यों सहित आरोप पत्र दिया जाना आवश्यक है। यदि 3 माह में आरोप पत्र नहीं दिया जाता तो किसी अन्य आधार पर कार्मिक को लंबी अवधि तक निलंबित नहीं रखा जा सकता।
समय-समय पर उच्चतम तथा उच्च न्यायालयों के निर्णय में भी यह स्पष्ट व्यवस्था दी गई है कि यदि किसी कार्मिक के विरुद्ध विभाग द्वारा आरोप पत्र नहीं दिया गया है तो उसे 90 दिन से अधिक अवधि के लिए निलंबित नहीं रखा जा सकता। ऐसी परिस्थितियों में शासन द्वारा इनको बहाल कर दिया गया।
विभागीय अधिकारियों का इस मामले में यह कहना है कि गीताराम नौटियाल विभाग के ही कुछ भ्रष्ट अफसरों की साजिश का शिकार हुए हैं।