रिपोर्ट/बिजेंदर राणा
उत्तराखंड कांग्रेस में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। आपको बता दें कि कांग्रेस अध्यक्ष करण माहरा के अध्यक्ष बनने के ताजपोशी समारोह में अधिकांश कांग्रेसी विधायकों ने अपनी उपस्थिति दर्ज नहीं करवाई।
इनमें से कुछ वरिष्ठ विधायकों के पास बहाने थे, परंतु अधिकांश ऐसे भी थे जिनके पास कोई बहाना नहीं था। 19 विधायकों में से सिर्फ 7 विधायकों ने अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई।
बताया जा रहा है कि करण माहरा की ताजपोशी और यशपाल आर्य को नेता प्रतिपक्ष बनाए जाने की बात सियासी दिग्गजों को पच नहीं रही है। कहीं ना कहीं प्रदेश में जूनियर नेता को बड़ी पदवी देने से कांग्रेस में मनमुटाव का दौर जारी है।
सियासी सूत्र बता रहे हैं कि यदि वर्तमान परिपेक्ष में भुवन कापड़ी को अध्यक्ष बनाया जाता तो इसे कांग्रेस नई शुरुआत के तौर पर युवा कांग्रेस की बात कह कर एक नई शुरुआत कर सकती थी,परंतु कांग्रेस ने ऐसा नहीं किया और कुछ चौकाने वाले फैसले ले लिए।
इसके अतिरिक्त कांग्रेस में गढ़वाल मंडल की अनदेखी भी गढ़वाल के नेताओं को रास नहीं आ रही है। दबे स्वरों में गढ़वाल मंडल की अनदेखी का विरोध हो रहा है।
हालांकि हरीश रावत, गणेश गोदियाल ने अपनी गरिमामय उपस्थिति अवश्य दर्ज करवाई। परंतु पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष गणेश गोदियाल का दर्द उनके भाषणों में भी दिखाई दिया।
उन्होंने साफ साफ कह दिया कि 5 साल तो सिर्फ कुर्सी बचाने की जंग में लगा रहते हैं कि अध्यक्ष पद से कुर्सी न चले जाए और मुख्यमंत्री पद से कुर्सी न चले जाए कहीं ना कहीं यह डर सताए रहता है।
इसलिए जिम्मेदारी के लिए पूरा समय दिया जाना चाहिए,इसके बाद गणेश गोदियाल ने बचाव करते हुए कहा कि मुझे प्रभारी जी की निष्ठा पर तनिक भी संदेह नहीं है। 6 महीने के अल्पकाल में मुझे नाइटवॉचमैन की भूमिका मिली और मैंने सभी को साथ लेकर कांग्रेस संगठन को आगे बढ़ाने का प्रयास किया।