देहरादून:
जीरो टॉलरेंस की सरकार में उत्तराखंड कर्ज के बोझ तले दब चुका हैं। विकास दर भी धराशायी हो चुकी हैं। फिर भी मुख्यमंत्री द्वारा चुनाव के कारण लगातार आर्थिक पैकेज बाटें जा रहे हैं ।
चुनाव को देखते हुए आए दिन मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी कोई न कोई आर्थिक पैकेज बांटने की घोषणा कर रहे। मुख्यमंत्री धामी पिछले 40 दिनों में 700-750 करोड़ के चार पैकेज की घोषणा कर चुके हैं।
चुनाव से पहले जीरो टॉलरेंस सरकार की यह दरियादिली देखकर लगता हैं कि राज्य की स्तिथि आर्थिक तौर पर बहुत मजबूत है,लेकिन वित्त वर्ष 2019-20 को लेकर आई कैग की रिपोर्ट राज्य की स्थिति कुछ और ही बयां कर रही हैं।
कैग रिपोर्ट से खुलासा हुआ हैं कि 31 मार्च 2020 तक उत्तराखंड सरकार करीब 66 हज़ार (65,982) करोड़ रुपए के कर्ज के बोझ से दब चुकी थी।
पिछले पांच सालों में जब राज्य में डबल इंजन की सरकार रही है तो कर्ज घटने की बजाय बढ़ता गया है। जबकि राज्य की जीडीपी विकास दर धराशायी होने की कगार पर पहुंच गई। इसके बावजूद लगातार कर्ज लेना जारी रहा है।
कैग रिपोर्ट से राज्य के वित्तीय प्रबंधन पर भी गंभीर सवाल उठने लगे हैं। वित्त वर्ष में पर्याप्त नगद राशि होने के बावजूद अप्रैल, जुलाई, अगस्त, सितंबर और दिसंबर में खुले बाजार से महँगी दरों पर सरकार द्वारा कर्जा लिया गया जिसकी कोई जरूरत नहीं थी ।
जीरो टॉलरेंस सरकार द्वारा लिये गये मनमाने कर्ज ने राज्य को गर्त की और धकेल दिया हैं ।कांग्रेस सरकार के समय 2016-17 में राज्य पर कर्ज 44,583 करोड़ रु था जो 2017-18 में 51,831 करोड़ और 2019-20 में 65,982 करोड़ पर पहुंच गया।
कैग रिपोर्ट के अनुसार विकास दर
- सकल राज्य घरेलू उत्पाद यानी SDGP दर 2015-16 में 9.74 फीसदी थी
- 2017-18 में SDGP की दर सबसे उच्च स्तर पर 14.20 फीसदी रही थी
- 2019-20 में 3.16 फीसदी पर लुढ़क गई