रिपोर्ट- राजकुमार सिंह परिहार
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष किशोर उपाध्याय और हरीश रावत के बीच संबंध इन दिनों बिल्कुल अच्छे नहीं हैं। पिछले काफ़ी लम्बे समय से सोशल मीडिया के माध्यम से किशोर उपाध्याय लगातार हरीश रावत पर सवाल खड़े करते रहे हैं। ऐसे में अब सहसपुर की एक पद यात्रा को लेकर किशोर उपाध्याय ने एक बार फिर हरीश रावत पर सवाल खड़े किए हैं और साफ तौर पर कहा कि उन्हें जानकारी देना तक गवारा नहीं समझा जा रहा है। आप भी पढ़िए आंखिर क्या लिख रहे है पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष किशोर उपाध्याय….
आदरणीय श्री रावत जी, मुझे अभी सोशल मीडिया के माध्यम से जानकारी मिली है कि आप कल 19 नवम्बर को सहसपुर विधान सभा के सेलाकुई क़स्बे में पदयात्रा का नेतृत्व कर रहे हैं, जिसकी मुझे कोई जानकारी नहीं है। आप तो जानते ही हैं 2017 में मैं विधान सभा का चुनाव नहीं लड़ना चाहता था।आपके आदेश और एक विशेष तर्क पर मैंने CEC के फ़ैसले पर चुनाव लड़ने के लिये हामी भरी, जब मैंने यह तर्क दिया कि जो वहाँ से टिकट की दावेदारी कर रहे हैं और 2012 का चुनाव कांग्रेस के टिकट पर लड़े हैं, यह उनके साथ अन्याय होगा तो केंद्रीय नेतृत्व ने मुझे विश्वास दिया कि उनको सहमत करने की ज़िम्मेदारी उनकी है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के ख़िलाफ़ चुनाव लड़ना बड़ी हिम्मत का काम है और चुनाव लड़ने के बाद ससम्मान कांग्रेस में वापसी के साथ बड़े-बड़े पदों पर विराजमान कर देना, सम्भवत: कांग्रेस की और भी इज़्ज़त बढ़ाने वाला काम है। पूर्व अध्यक्ष व गत विधान सभा चुनाव के उम्मीदवार को किस तरह इज्जत बक्शी जाती है, इस होर्डिंग से परिलक्षित होती है। 2022 का रण अगर हम इस तरह की मानसिकता से जीत रहे हैं तो मुझे अपना अपमान भी सहर्ष मंज़ूर है। उत्तराखंड राज्य आंदोलन के बाद की कांग्रेस की हालत यह थी कि कांग्रेस का एक भी विधायक अन्तरिम विधान सभा में न था। आपने कांग्रेस को पुन: स्थापित किया, लेकिन मेरा भी उसमें कोई कम योगदान नहीं है। 2012 का चुनाव मुझे जनता ने नहीं हराया, कांग्रेस के बड़े नेता ने षड्यन्त्र से हरवाया और अब मुझे लगता है, 2017 में भी मैं एक बड़े षड्यन्त्र का शिकार हो गया। आशा है, आप मेरी भावना को समझेंगे।