स्टोरी(कमल जगाती, नैनीताल):-
उत्तराखण्ड उच्च न्यायालय ने गवाहों की सुरक्षा को लेकर दायर स्वतः संज्ञान संबंधी याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को निर्देश दिए हैं कि 22 फरवरी तक गवाह सुरक्षा को लेकर सरकार ने क्या क्या कदम उठाए हैं इस पर स्थिति स्पष्ठ करने को कहा है।
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश संजय कुमार मिश्रा और न्यायमूर्ति एन.एस.धनिक की खण्डपीठ ने मामले को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सुनते हुए अगली सुनवाई 22 फरवरी की तिथि नियत की है।
मामले के अनुसार सुप्रीम कोर्ट ने 2018 में सभी राज्यों को निर्देश दिए थे कि वे अपने राज्य में 2019 के अंत तक सभी न्यायलयों में गवाहों के बयान दर्ज कराने हेतु परिसर बनाएं और उनको सुरक्षा दिलाई जाय। विटनेस प्रोटेक्शन एक्ट को प्रभावी रूप से लागू करें। लेकिन राज्य सरकारों द्वारा इसे प्रभावी रूप से लागू नही किया जा रहा है।
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा है कि केंद्र सरकार इस प्रभावी रूप से लागू कराने के लिए सभी राज्यो को वित्तीय व अन्य सहायता मुहैया कराएं।
राज्यो को दिए गए निर्देशों में यह भी कहा गया है कि गवाहों को राज्य सरकार द्वारा सुरक्षा नही दिए जाने के कारण कई केशों में गवाह का पलट जाना या मुखर जाना है। इन निर्देशों का पालन कराने हेतु सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यो के उच्च न्यायलयों को निर्देश दिए थे। इसी के आधार पर आज उच्च न्यायालय ने इस प्रकरण का स्वतः संज्ञान लिया है।