स्टोरी(कमल जगाती, नैनीताल):-
उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने कुम्भ मेले में कोरोना टेस्टिंग फर्जीवाड़े में लिप्त मैक्स कॉरपोरेट सर्विसेज के सर्विस पार्टनर शरत पंत और मलिका पन्त की तरफ से दायर अग्रिम जमानत प्रार्थना पत्र पर सुनवाई करते हुए फिलहाल कोई राहत नहीं देते हुए सरकार से 11 नवम्बर तक जवाब पेश करने को कहा है।
आज मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति आर.सी.खुल्बे की एकलपीठ में हुई।
पूर्व में न्यायालय ने उनसे कहा था कि वे जाँच में सहयोग करें और सी.जे.एम.हरिद्वार के वहाँ अंतरिम जमानत के लिए प्रार्थना पत्र पेश करें ।
सरकार की तरफ से कहा गया था कि जांच में इनके खिलाफ अन्य आरोप भी पाए गए है । मामले के अनुसार सरत पन्त व मलिका पन्त ने याचिका दायर कर कहा था कि वे मैक्स कॉर्पोरेट सर्विसेस में एक सर्विस प्रोवाइडर है। परीक्षण और डेटा प्रविष्टि के दौरान मैक्स कॉर्पोरेट का कोई कर्मचारी मौजूद नहीं था। इसके अलावा परीक्षण और डेटा प्रविष्टि का सारा काम स्थानीय स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की प्रत्यक्ष निगरानी में किया गया था। इन अधिकारियों की मौजूदगी में परीक्षण स्टालों ने जो कुछ भी किया था उसे अपनी मंजूरी दे दी। अगर कोई गलत कार्य कर रहा था तो कुंभ मेले के दौरान अधिकारी चुप क्यों रहे।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी हरिद्वार ने पुलिस में मुकदमा दर्ज करते हुए आरोप लगाया था कि कुंभ मेले के दौरान इनके द्वारा अपने को लाभ पहुंचाने के लिए फर्जी तरीके से टेस्ट इत्यादि कराए गए। वर्ष 2021 में एक व्यक्ति ने सी.एम.ओ.हरिद्वार को एक पत्र भेजकर शिकायत की थी कि कुंभ मेले में टेस्ट कराने वाले लैबो द्वारा उनकी आईडी व फोन नंबर का उपयोग किया है। जबकि उनके द्वारा रेपिड एंटीजन टेस्ट कराने हेतु कोई रजिस्ट्रेशन व सैम्पल नही दिया गया।मामले की अगली सुनवाई 11 नवम्बर की तिथि नियत की है।