स्टोरी(कमल जगाती, नैनीताल):-
उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने कुम्भ मेले में कोरोना टेस्टिंग के फर्जीवाड़े में लिप्त मैक्स कॉरपोरेट सर्विसेज के सर्विस पार्टनर शरत पंत और मलिका पन्त की तरफ से दायर जमानत प्राथनापात्र पर सुनवाई के बाद फिलहाल उन्हें कोई राहत नहीं देते हुए सरकार से तीन सप्ताह के भीतर जवाब पेश करने को कहा है।
आज सरकार की तरफ से कहा गया कि पूर्व में न्यायालय ने इनकी गिरफ्तारी पर रोक लगाई थी, लेकिन पुलिस की जाँच में इनके ऊपर गम्भीर आरोप पाए गए। इसके बाद न्यायालय ने इनसे निचली अदालत में पेश होने को कहा था। निचली अदालत ने इनके ऊपर गम्भीर आरोप पाते हुए इनकी जमानत याचिका खारिज कर दी। इस आदेश को उच्च न्यायालय में चुनौती दी गयी।
मामले के अनुसार सरत पन्त और मलिका पन्त ने याचिका दायर कर कहा था कि वे मैक्स कॉर्पोरेट सर्विसेस में एक सर्विस प्रोवाइडर है। परीक्षण और डेटा प्रविष्टि के दौरान मैक्स कॉर्पोरेट का कोई कर्मचारी मौजूद नहीं था। इसके अलावा परीक्षण और डेटा प्रविष्टि का सारा काम स्थानीय स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की प्रत्यक्ष निगरानी में किया गया था । इन अधिकारियों की मौजूदगी में परीक्षण स्टालों ने जो कुछ भी किया था उसे अपनी मंजूरी दे दी। अगर कोई गलत कार्य कर रहा था तो कुंभ मेले के दौरान अधिकारी चुप क्यों रहे।
मुख्य चिकित्साधिकारी हरिद्वार ने पुलिस में मुकदमा दर्ज करते हुए आरोप लगाया था कि कुंभ मेले के दौरान इनके द्वारा अपने को लाभ पहुंचाने के लिए फर्जी तरीके से टेस्ट इत्यादि कराए गए। वर्ष 2021 में एक व्यक्ति ने सी.एम.ओ.हरिद्वार को पत्र भेजकर कहा था कि कुंभ मेले में टेस्ट कराने वाले लैबो द्वारा उनकी आई.डी.और फोन नंबर का उपयोग किया है। जबकि उनके द्वारा रेपिड एंटीजन टेस्ट कराने के लिए कोई रजिस्ट्रेशन या सैम्पल नही दिया गया। मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की एकलपीठ में हुई।