स्टोरी(कमल जगाती, नैनीताल):-
उत्तराखंड के नैनीताल में बड़ी संख्या में छोटी उम्र के बच्चों को पेट की बीमारी होने से पीने के पानी की गुणवत्ता पर सवाल खड़े हो रहे हैं ।
चिकित्सक बीमारी का एक मुख्य कारण पानी को मानते हैं लेकिन पानी टैस्टिंग्मी लैब वाले पानी को स्वच्छ बता रहे हैं ।
नैनीताल शहर के बी.डी.पांडे जिला अस्पताल में लगातार बच्चों के पेट दर्द की शिकायत को लेकर भीड़ लगी हुई है । बच्चों को पेट दर्द, दस्त, उल्टी, डायरिया आदि की समस्या हो रही है ।
यहां बाल रोग चिकित्सक सुरेश सिशोधिया ने बताया कि कम उम्र के बच्चे बड़ी संख्या में हररोज अपने परिजनों के साथ अस्पताल पहुंच रहे हैं । लगभग 70 से 80 प्रतिशत बच्चों को पेट संबंधी परेशानी हो रही है, जो पानी की खराब गुणवत्ता से शुरू होती है ।
उन्होंने इसे पानी से उपजी बीमारी बताते हुए कहा कि लोगों ने अपने बच्चों को पानी उबालकर पीलाना चाहिए और साफ सफाई रखनी चाहिए ।
पानी टैस्टिंग् की जिला लैब में पानी की गुणवत्ता के बारे में जब पूछा गया तो उन्होंने कहा कि सभी 14 पैरामीटर पार करके पानी की स्वच्छता नापी जाती है ।
लैब असिस्टेंट गौरव सिंह ने बताया की नैनीताल में सप्लाई हो रहा पानी पीने लायक है । गौरव ने कहा कि इस पानी में क्लोरीन डाली गई है जिसके कारण इसमें बैक्टीरिया खत्म हो चुके हैं और बच्चों की परेशानी का कोई दूसरा कारण भी हो सकता है । बता दें कि नैनीताल व आसपास के क्षेत्र में झील से बोरिंग कर निकाले गए पानी को फिल्टर्ड कर सप्लाई किया जाता है ।
नैनीझील में गंदगी के कारण यहां का पानी पीने योग्य नहीं रह गया है, इसे पेयजल के रूप में सप्लाई से पहले दो बार फिल्टर किया जाता है । लेकिन बच्चों की इतनी बड़ी संख्या में पेट दर्द की शकायत लेकर अस्पताल पहुंचने से पानी की गुणवत्ता पर कई सवाल खड़े होते हैं।