सतीश डिमरी, गोपेश्वर (चमोली)
पर्वत जन की टीम चमोली जिले के प्राथमिक विद्यालय से रूबरू हुए जो कि अनेकों समस्याओं जूझ रहे हैं। जहां सरकार द्वारा शिक्षा के प्रति अनेकों दावे किए जा रहे हैं, वहीं धरातल पर उत्तराखंड के दुर्गम क्षेत्र के विद्यालय उपेक्षा का दंश झेल रहे हैं।
देखा जाए तो दुर्गम क्षेत्र के विद्यालयों की सुध न तो विभाग द्वारा ली जाती है, ना ही सरकार द्वारा। इस बात का संज्ञान पर्वत जन टीम ने लिया है।
प्राथमिक विद्यालय कमेडा प्रथम का संज्ञान लेते हुए वहां की शिक्षिका ने भी अपने विद्यालय की अनेक समस्याओं से रूबरू करवाया। जिसमें कि उनके द्वारा बताया गया कि वो वहां पर अकेली शिक्षिका है, उनके साथ अन्य स्टाफ भी नहीं है, केवल भोजन माता हैं।
अपने साथ सहायक न होने के कारण उन्हें बहुत दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। अन्य स्कूल एवम सरकारी काम करने के लिए यदि कहीं जाना है तो उस दिन बच्चों का अवकाश करना पड़ता है, जिससे कि बच्चों के पठन पाठन पर विपरीत असर पड़ता है।
इस बात के लिए अपने कार्यालय को सूचित किया जाता है किंतु कोई व्यवस्था पर नहीं आ पाता, ऐसे में कई बार ग्रामीण भी गलत शिकायत कर लेते हैं। इसी के साथ विद्यालय अनेकों समस्याओं में बच्चों के पास खेलने के लिए ना तो अच्छा मैदान है, स्कूल के रास्ते में रिलिंग की व्यवस्था नहीं है, जिसमें स्कूली बच्चों के गिरने का भय बना रहता है, स्कूल में पानी की व्यवस्था भी सुचारू रूप से नहीं है, रास्ते उबड-खाबड हुए हैं, जहां कि बच्चों पैर फिसलने का भी भय रहता है।
इसी के साथ शिक्षिका द्वारा बताया गया कि गेट न होने के कारण यहां कभी भी कोई पशु अथवा जानवर आ जाते हैं, जिससे कि उनके द्वारा लगाए गए पौधे नष्ट हो जाते हैं। भोजन माता द्वारा बताया गया कि जहां भोजन बनता है वह कमरा भी काफी जीर्ण शीर्ण अवस्था में है, जो कि कभी भी टूट सकता है, इस कारण उसमें भी भय बना रहता है। I
इस तरह बहुत सारी समस्याओं से जूझती उत्तराखंड के दुर्गम क्षेत्रों की शिक्षा व्यवस्था सरकार के खोखले दावों की पोल खोलती है। यह समस्या एक ही स्कूल की नहीं है यह पूरे उत्तराखंड की है, जहां उत्तराखंड का प्रशिक्षित युवा शिक्षण क्षेत्र में रोजगार की मांग कर रहा वहीं शिक्षकों के अभाव में स्कूलें एकल शिक्षक के भरोसे चल रहे हैं, जो कि एकल शिक्षक को अनेकों समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
यह सीधे तौर पर सरकार का शिक्षा के प्रति उदासीनता को दिखाता है। इसी बीच टीम ने मीड दे मील में भोजन को भी परखा, जो कि बच्चों के लिए काफी अच्छा था। अनेकों समस्याओं के निदान के लिए खबर का असर देखना होगा।।