उत्तराखंड में नेतृत्व परिवर्तन की बातें तो सियासी गलियारों में लंबे समय से चल रही हैं, आए दिन राजनीतिक विद्वान लोग कई अलग-अलग तरीके के कयास नेतृत्व परिवर्तन को लेकर लगाते ही रहते हैं।
लेकिन अब कांग्रेस के दिग्गज नेता हरीश रावत के सोशल मीडिया पोस्ट ने उत्तराखंड राजनीतिक विद्वानों को एक और नया मसाला दे दिया। हरीश रावत की सोशल मीडिया पोस्ट में साफ नजर आ रहा है कि कुछ सांसद उत्तराखंड में नेतृत्व परिवर्तन की खिचड़ी पका रहे हैं।
हालांकि दिल्ली स्थित संगठन के सूत्र इसको मात्र कोरी अफवाह बता रहे हैं।
भाजपा के आला नेताओं का कहना है कि मौजूदा नेतृत्व के खिलाफ कहीं भी जनता में किसी तरह का कोई आक्रोश नहीं है और सीएम मुख्यमंत्री धामी हर आपदा विपदा के मौके पर धरातल पर अग्रिम मोर्चे पर मौजूद रहते हैं।
फिर सवाल यह खड़ा होता है कि कौन सीएम धामी की कुर्सी खतरे में डालने के सपने संजोए हुए हैं? क्योंकि बीजेपी के अंदर पक रही खिचड़ी की चर्चा तो लंबे समय से हैं,कई नेता पिछले कुछ समय से दिल्ली दौड़ भी लगा रहे हैं।
हालांकि दिल्ली दौड़ लगा रहे नेताओं का प्रत्यक्षतः तो यह कहना है कि वह शिष्टाचार भेंट करने तथा अपने मंत्रालय से संबंधित योजनाओं के सिलसिले में मुलाकात करने गए थे।
बड़ा मुद्दा यह भी है कि यदि वाकई इस खिचड़ी के पीछे कुछ सांसद है तो पहला सवाल यह खड़ा होता है कि वर्तमान सांसदों का इससे कुछ समय पहले तक आपस में 36 का आंकड़ा था।
भला यह 36 का आंकड़ा 33 में किन समीकरणों के चलते बदल गया है !!
और दूसरा सवाल यह है कि जिनको पार्टी हाई कमान ने टिकट देकर दिल्ली की संसद में भेजा है आखिर वह राज्य की अपनी सरकार को क्यों अस्थिर करना चाहेंगे !
और अगर इसके पीछे सांसदों का हाथ नहीं है तो फिर भला हरीश रावत अपनी पोस्ट की गॉसिप में सांसदों पर क्यों निशाना साध रहे हैं!
हरीश रावत की निगाहें कहां पर है और निशाना कहां पर है यह अभी साफ नहीं हो पाया है।
“हरीश रावत ने लिखा कि बहुत दिनों बाद दिल्ली आया तो सेंट्रल हॉल में अपने पुराने दोस्तों को खोजने चला गया, पत्रकार भी मिल जाते हैं और राजनीतिक कलाकार भी मिल जाते हैं, तो काॅफी और टोस्ट का आनंद लेते मुझे बड़ी चौकाने वाली बात सुनाई दी। बोले भई तुम्हारे सांसदगण तो यहां बड़ा दबाव डाल रहे हैं और यह एक खग्गाड़ पुराने भाजपाई से सुनकर के मैं बड़ा चौंका।”
अब हरीश रावत ने इस पैराग्राफ में जो लिखा कि “भाई तुम्हारे सांसदगण तो यहां बड़ा दबाव डाल रहे हैं इससे साफ हो जाता है कि सांसदों द्वारा दिल्ली आलाकमान पर पार्टी नेतृत्व परिवर्तन के लिए दबाव डाला जा रहा हैं। सवाल यह है कि आखिर वह कौन से सांसद हैं जो बीजेपी आलाकमान पर दबाव बना रहे हैं!
साथ ही हरदा ने अपनी पोस्ट में उज्याडू़_बल्द कह कर कांग्रेस के बागियों पर भी तंज कस दिया। हरदा ने लिखा कि,कुछ उज्याडू़_बल्द अब यहां तक भाजपा में जम और रम गए हैं कि वह बड़ी तमन्नाएं रखने लग गए हैं ।
हरदा की इन लाइनों का सीधा इशारा कांग्रेस के बागियों पर हैं, लेकिन सवाल यही है कि आखिर वह कौन उज्याडू़_बल्द है जो अब बड़ी-बड़ी तमन्नाएं रखने लगे यानी कि सीएम बनने का ख्वाब देखने लगेहैं!
पढ़िए हरीश रावत की पूरी पोस्ट:
हरीश रावत ने लिखा, वो लिखते हैं कि, “बहुत दिनों बाद दिल्ली आया तो सेंट्रल हॉल में अपने पुराने दोस्तों को खोजने चला गया, पत्रकार भी मिल जाते हैं और राजनीतिक कलाकार भी मिल जाते हैं, तो काफी और टोस्ट का आनंद लेते मुझे बड़ी चौकाने वाली बात सुनाई दी। बोले भई तुम्हारे सांसदगण तो यहां बड़ा दबाव डाल रहे हैं और यह एक खग्गाड़ पुराने भाजपाई से सुनकर के मैं बड़ा चौंका।
खैर आगे मैंने और कुरेदने की कोशिश की तो उन्होंने इधर-उधर बातें बहला दी। मैंने सोचा शायद इससे ज्यादा नहीं कहना चाहते, मैं इत्तेफाक से जो है प्रेस क्लब भी चला गया,वहां बहुत सारे लोग मिले, कुछ हमारे पहाड़ी पत्रकार बंधु भी मिले जो आजकल भाजपा के गुणगान में लगे हुए हैं तो उनसे कुरेदते-कुरेदते पता चला कि कुछ उज्याडू़_बल्द अब यहां तक भाजपा में जम और रम गए हैं कि वह बड़ी तमन्नाएं रखने लग गए हैं तो मुझे दोनों जगह सूंघने पर लगा कि कुछ न कुछ है, अब क्या है भगवान जाने? और यूं भी नीचे परिवर्तन करते रहो और ऊपर जमे रहो, यह भाजपा का राजनीतिक मंत्र है।”