पहाड़ो में पशु चिकित्सा अधिकारियों के ठाट। बीमार बकरी को देखने से किया साफ इनकार। कहा पैदल नहीं आऊंगी
रिपोर्ट- इंद्रजीत असवाल
लैंसडाउन। पहाड़ो में अक्सर पशुओं पर बीमारी होने के कारण पशु दम तोड़ देते हैं कारण पशु चिकित्सालय दूर होना और यदि ग्रामीण पशुपालक चिकित्सक से संपर्क करते हैं तो चिकित्सक दूर या पैदल या फिर किराया गाड़ी भाड़ा की वजह से मौके पर नही जाते और इसी वजह से कई पशु मर जाते हैं।
बात रिखणीखाल विकास खंड की है, जहाँ पर पशु चिकित्सिक ने बकरियो के उपचार को ग्राम नावेतली जाने से अपना पल्ला झाड़ा, कहा कि, दूर है तथा सड़क नही है।फिर फोन काटकर स्विच ऑफ कर दिया। ये वारदात है रिखणीखाल प्रखंड के ग्राम नावेतली की, वहाँ श्रीमती बीरा देवी की बकरी चोट लगने के कारण दो दिन से बीमार है उसके पेट मे बच्चा है तथा बच्चा मरने की आशंका है। बीरा देवी के पुत्र दीनदयाल सिंह रावत जो कि भारतीय वायु सेना मे कार्यरत है, अभी वे भुज, गुजरात मे तैनात है।
दीनदयाल सिंह रावत ने पशु चिकित्सक कोटडीसैण को भुज, गुजरात से फोन लगाया कि, मेरे घर मे बकरी बीमार है, कृपया उसका दवाई दारू व उपचार के लिए ग्राम नावेतली आ जाइये तो डॉक्टर साहिबा ने साफ इंकार करते हुए कहा कि, आपका गाँव दूर है तथा सड़क भी नही है और फोन काटकर स्विच ऑफ कर दिया।
फिर कही से पशु चिकित्सक रिखणीखाल का फोन नम्बर लिया जो नेटवर्किंग के अभाव मे बात नही हो सकी। तब थक हारकर मुख्य पशु चिकित्साधिकारी पौड़ी श्री एस के सिंह से बात की तो उन्होने कहा मै कोटडीसैण की डॉक्टर से बात करता हूँ। अब बात हुई या नहीं हुई, लेकिन शाम तक भी डॉक्टर नही पहुंचा।
बीरा देवी के पुत्र दीनदयाल सिंह रावत ने कहा कि, मैं एक सेवारत सैनिक हूँ, चौबीस घंटे ड्युटी कर रहा हूँ और ये लोग उपचार करने मे असमर्थता जता रहे है। क्या इनको वेतन नही मिलता। या इन पर किसी का नियंत्रण नही है?