नीरज उत्तराखंडी
पुरोला। बिलुप्त होते जा रहे जीव-जंतुओं के संरक्षण के लिए प्रशिक्षित किया जा रहा है वनकर्मियों को। पुरोला टोंस वन प्रभाग में स्थित वन चेतना केंद्र में सोमवार को उत्तराखंड वन विभाग एवम जूलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के संयुक्त तत्वावधान में पर्यावरण एवम वन मंत्रालय भारत सरकार द्वारा प्रायोजित दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का शुभारम्भ किया गया, जिसमें वनकर्मियों को देश के हिमालय क्षेत्र में बिलुप्त होते जा रहे जीवों एवम उनके संरक्षण के लिए विस्तृत जानकारी दी जा रही है।
दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम में बतौर मास्टर ट्रेनर कोलकाता से जूलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के जन्तु विज्ञान विशेषज्ञ डॉक्टर
विवेक जोशी, डॉक्टर भीम दत्त जोशी, आशुतोष सिंह आदि ने प्रशिक्षण में वनकर्मियों एवम वन पंचायत प्रतिनिधियों को जानकारी देते हुए कहा कि देश के पहाड़ी एवम उच्च हिमालयी क्षेत्रों की जैव विविधता से हो रहे जलवायु परिवर्तन वन्य जीव संरक्षण एवम मॉनीटिरिंग को लेकर वनों से जुड़े तमाम महकमों एवम संस्थाओ को जागरूक रहने की आवश्यक्ता है। प्रशिक्षण में प्राणी विज्ञान के विशेषज्ञों ने यह भी जानकारी दी कि आज मानवीय गतिविधियों के कारण जीव-जंतुओं के प्राकृतिक आवास तेजी से विलुप्त होते जा रहे हैं, और जीव-जंतुओं की हजारों प्रजातियां बिलुप्त होने की कगार पर हैं और कई प्रजातियां तो बिलुप्त ही हो चुकी हैं।
प्रशिक्षण में विशेषज्ञों ने कहा कि देश के उच्च हिमालयी क्षेत्रों का अध्ययन किया जा रहा है एवम विलुप्त होते जा रहे प्राणियों का डाटा तैयार किया जा रहा है। अध्ययन से पता चलता है कि मानवीय हस्तक्षेपों से प्राकृतिक और मूल्यवान औषधियों का असन्तुलित दोहन से जीव-जंतुओं के प्राकृतिक आवास नष्ट होते जा रहे हैं जिससे प्राणियों को खतरा होता जा रहा है। उन्होंने प्रशिक्षण में वनकर्मियों की भूमिका को महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में बृहद रूप से वन एवम वन्य प्राणियों के संरक्षण के लिए जागरूकता की आवश्यक्ता है, जिसके माध्यम से जीव-जंतुओं के विलुप्त होते हुए महत्वपूर्ण प्रजातियों को संरक्षित किया जा सकता है।
कार्यक्रम में विशेषज्ञ डॉक्टर विनय कुमार, हेमन्त, इंदर सिंह के अलावा टोंस वन प्रभाग, यमुना वन प्रभाग, गोविंद वन्य जीव विहार के एसडीओ आर0एन0 श्रीवास्तव, आरओ0 अमीता चौहान, किशोरी लाल, राजेन्द्र थपलियाल, प्यार सिंह, कन्हैया लाल, गम्भीर पंवार आदि वन कर्मी व वन पंचायतों के प्रतिनिधि उपस्थित रहे।