मुख्यमंत्री हरीश रावत ने एक और ओएसडी अरुणा कुमार को दिखाया बाहर का दरवाजा। अरुणा कुमार पर नौकरी लगाने के नाम पर रुपए लेने के कई आरोप लगे थे
पर्वतजन ब्यूरो
मुख्यमंत्री हरीश रावत की ताजा परेशानी यह है कि वह आखिर भरोसा करें तो किस पर। जिस पर भी भरोसा करते हैं, वह कुछ दिनों में ही अपनी अलग दुकान खोलकर बैठ जाता है। मोहम्मद शाहिद मुख्यमंत्री के नाम पर शराब माफिया से डीलिंग करने के आरोप में नप गए तो एक और व्यक्ति खुद को मुख्यमंत्री का पीआरओ बताकर लोगों को झांसा देने के आरोप में सलाखों के पीछे पहुंच चुका है। हरीश रावत ने उस व्यक्ति को अंदर कराकर अभी चैन की सांस भी नहीं ली थी कि एक ताजे मामले ने फिर से उनकी नींद हराम कर दी है।
मुख्यमंत्री ने ओएसडी अरुणा कुमार को नौकरी लगाने के लिए पैसे लेने की शिकायत मिलने पर तत्काल बाहर का रास्ता दिखाया है।
पहले अरुणा कुमार अनुसूचित जाति जनजाति उप योजना समिति में उपाध्यक्ष थी और इन्हें राज्यमंत्री का दर्जा प्राप्त था। अरुणा कुमार अक्सर मुख्यमंत्री के कार्यक्रमों में मुख्यमंत्री के साथ अपनी फोटो खिंचवाकर फेसबुक पर अपलोड करती थी, ताकि लोग उसे मुख्यमंत्री का खासमखास समझकर उसके झांसे में आ जाएं।
हाल ही में जापान में एक होटल में शेफ की नौकरी करने वाले उत्तराखंड के इंद्र रावत नाम के शख्स ने अरुणा कुमार पर नौकरी के नाम पर पैसे लेने का आरोप लगाया था। इंद्र सिंह का कहना है कि अरुणा कुमार ने उनके भाई को ऋषिकेश स्थित एम्स में नौकरी लगाने के नाम पर 1 लाख ६० हजार रुपए लिए थे, किंतु अरुणा कुमार ने ये पैसे भी रख लिए और इंद्र रावत के भाई को नौकरी भी नहीं लगाया। जब इंद्र रावत ने पैसे वापस मांगे तो अरुणा कुमार साफ मुकर गई।
इसके अलावा अनिता रावत नाम की एक और महिला ने भी अपनी नौकरी लगाने के लिए अरुणा कुमार को डेढ़ लाख रुपए दिए थे। पैसे लेने के बाद अरुणा कुमार उसे आजकल-आजकल करके टालने लगी। हताश होने के बाद 25 जनवरी 2016 को अनिता रावत ने इसकी शिकायत मुख्यमंत्री से कर दी। अनिता रावत ने अपनी शिकायत में लिखा था कि उन्होंने अरुणा कुमार के खाता संख्या 04422002100013696 में 22 अगस्त 2013 को 20 हजार और 27 नवंबर 2013 को 30 हजार रुपए डाले थे, किंतु बाद में फंसने के डर से अरुणा कुमार बाकी के एक लाख 10 हजार रुपए नकद लेने पर अड़ गई और कहा कि अगर तुम नकद पैसे दोगी तो तुम्हारी नौकरी जल्दी लगवा दूंगी। इस तरह से कुल 1 लाख 60 हजार रुपए लेने के बाद भी अरुणा कुमार ने महिला की नौकरी नहीं लगाई। शिकायत मिलने पर मुख्यमंत्री हरीश रावत ने अरुणा कुमार को बीजापुर से बाहर का रास्ता दिखा दिया।
इसके अलावा ऋषिकेश के चौदह बीघा और ढालवाला क्षेत्र के आधा दर्जन लोगों ने अरुणा कुमार पर लाखों रुपए लेने का आरोप लगाया है। इनमें चौदह बीघा ऋषिकेश निवासी अमन उनियाल ने ८० हजार, दुधपानी ऋषिकेश निवासी कल्याण पंवार ने एक लाख, चौदह बीघा निवासी संजय ने एक लाख, लक्ष्मण सिंह ने ६० हजार, तथा उत्तरकाशी के शिवराम ने ५० हजार रुपए देने का आरोप लगाया था। पीडि़तों का आरोप था कि अरुणा कुमार ने नौकरी दिए जाने के नाम पर उनसे ये पैसे लिए थे, किंतु नौकरी तो रही दूर, बाद में वह पैसे देने से भी मुकर गई। पीडि़त बताते हैं कि अरुणा कुमार के मोबाइल नंबर ९४१२०७५४७६ पर फोन करने पर वह कहती थी कि अभी मुख्यमंत्री के साथ हूं, बाद में फोन करना तो कभी फोन अपने पति को पकड़ा देती थी और उनका पति काम हो जाने का आश्वासन देते हुए टाल देता था।
अनिता रावत ने पर्वतजन को पंजाब नेशनल बैंक की नई टिहरी शाखा द्वारा २० हजार रुपए जमा कराए जाने की रसीद की छायाप्रति भी उपलब्ध कराई है। यह धनराशि यूनिक सिक्योरिटी सर्विस के नाम पर २२ अगस्त २०१३ को जमा कराई गई थी।
फिलहाल इस प्रकरण में अभी तक मुख्यमंत्री को शिकायती पत्र भेजने के अलावा पीडि़तों ने कोई पुलिसिया कार्यवाही नहीं की है। सभी को इंद्र रावत के जापान से लौटने का इंतजार है। हालांकि मुख्यमंत्री ने अरुणा कुमार को निकाल बाहर कर दिया है, किंतु आने वाले एक-दो माह में अरुणा कुमार की मुश्किलें बढ़ सकती हैं।
मुख्यमंत्री कहते हैं कि इस महिला की शिकायत लेकर कुछ लोग उनसे मिले थे। इसका संज्ञान लेते हुए महिला को हटा दिया गया है। मुख्यमंत्री इसे भरोसे का कत्ल बताते हुए आगे इस मामले की जांच के बाद कार्रवाई का भी मन बना रहे हैं।
इंद्र रावत ने इस मामले को लेकर अरुणा कुमार के खिलाफ अन्य लोगों को भी एकजुट करने का मन बनाया है। इंद्र रावत कहते हैं कि स्वदेश लौटने पर अरुणा कुमार की ठगी और धोखाधड़ी का शिकार अन्य लोगों को भी एकजुट कर आगे की कार्यवाही की जाएगी।
ऋषिकेश के चौदह बीघा और ढालवाला क्षेत्र के आधा दर्जन लोगों ने अरुणा कुमार पर लाखों रुपए लेने का आरोप लगाया है। इनमें चौदह बीघा ऋषिकेश निवासी अमन उनियाल ने ८० हजार, दुधपानी ऋषिकेश निवासी कल्याण पंवार ने एक लाख, चौदह बीघा निवासी संजय ने एक लाख, लक्ष्मण सिंह ने ६० हजार, तथा उत्तरकाशी के शिवराम ने ५० हजार रुपए देने का आरोप लगाया था।