राज्य की आपदाओं के प्रति उच्च संवेदनशीलता को देखते हुए उत्तराखंड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण यूएसडीए में द्वारा ड्रोन को शामिल किया गया है।
उल्लेखनीय है कि आपदाओं के समय कई बार घटनास्थल की सही सही जानकारी जुटा पाना संभव नहीं हो पाता। ऐसे में ड्रोन तकनीक खासी भूमिका निभाती है। यूएसडीएमए की अपेक्षा अनुरूप सभी जनपद आपदा प्रबंधन प्राधिकरण द्वारा ड्रोन खरीदने की कार्यवाही की जा रही है। जिनका उपयोग दुर्गम इलाकों की सूचनाओं को एकत्र करने के साथ ही विभिन्न प्रकार के माॅक अभ्यासों के दौरान भी किया जा सकेगा।
राज्य एवं जनपद स्तर पर विभिन्न शहरी नियोजन भू उपयोग वन एवं रिसोर्स मैपिंग जैसे महत्वपूर्ण आंकड़ों का डाटाबेस बनाए जाने को लेकर यूएसडीएमए की पहल पर अल्मोड़ा, पिथौरागढ़, उत्तरकाशी एवं नैनीताल में डीडीए में कार्यालयों में भौगोलिक सूचना प्रणाली आधारित प्रयोगशालाओं को स्थापित किया गया है। जबकि अन्य जनपदों में इस संबंध में कार्यवाही चल रही है यूएसडीएमए द्वारा डीएमएमसी की मदद से राज्य में अवस्थित चिकित्सा सुविधाओं, पुलिस कार्यालयों तथा अन्य संसाधनों के साथ ही खाद्य एवं पूर्ति विभाग के भंडार ग्रहों को भौगोलिक सूचना प्रणाली में मानचित्र एवं सूचीबद्ध किया जा रहा है।
यूएसडीएमए द्वारा आपदाओं के नियंत्रण में खोज बचाव व प्राथमिक चिकित्सा को खासी तवज्जो दी गई है। और इस संबंध में व्यापक तैयारियां भी की गई है।
पुलिस, अग्निशमन, होमगार्ड के जवानों को 20 दिवसीय खोज एवं बचाव का प्रशिक्षण दिया गया है। जबकि न्याय पंचायत स्तर पर 10 दिवसीय खोज एवं बचाव जैसे प्रशिक्षण कार्यक्रमों को निरंतरता में आयोजित किया जा रहा है।
वर्तमान तक 612 न्याय पंचायतों के 15300 लोगों को खोज एवं बचाव में प्रशिक्षित किया जा चुका है। इस प्रकार मानसून अवधि में यह दल 5-5 की टोलियों में संवेदनशील स्थान में तैनात रहते हैं और आवश्यकता में प्रभावित स्थल तक पहुंच कर खोज बचाव का कार्य प्रारंभ करते हैं।
डीएमएमसी के सभागार में आयोजित प्रेस वार्ता में सविन बंसल द्वारा बताया गया कि यूएसडीएमए राज्य में आपदा प्रबंधन तंत्र को सुदृढ़ बनाए जाने हेतु काफी गंभीर और प्रयासरत है।
जन जागरूकता के साथ ही राज्य आपदा प्रबंधन योजना (एसडीएमपी), विभागीय आपदा प्रबंधन की कार्य योजना डीडीएमपी मानक परिचालन कार्यविधियां एसओपी तैयार कर ली गई है।
समय-समय पर आपदा प्रबंधन की तैयारियों का आकलन करने के लिए निरंतर अंतराल पर माॅक अभ्यास कराए जा रहे हैं।
भूकंप सुरक्षित भवन निर्माण हेतु आईआईटी रुड़की व पंडित गोविंद बल्लभ पंत कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय पंतनगर के सहयोग से लिया जा रहा है।
बिल्डिंग बायलॉज पर कार्यशाला आयोजित किए जाने के साथ ही राज मिस्त्रियों को भी इस विधा में प्रशिक्षित किया गया है। वर्तमान तक राज्य के विभिन्न जनपदों में 56 प्रदर्शन इकाइयों का निर्माण कर 1514 से ज्यादा राज मिस्त्रियों को प्रशिक्षित किया जा चुका है।
यूएसडीएमए द्वारा 8 विद्यालय भवनों को रेट्रोफीट किया जा चुका है। आपदा में निर्बाध कम्युनिकेशन हेतु 44 आई सेट प्रो सेटेलाइट फोन जनपदों को उपलब्ध करवाए गए हैं। यात्रा सीजन तथा मानसून सीजन को देखते हुए आपदा प्रबंधन की तैयारियों से आपदा आने की स्थिति में नुकसान को काफी कम कर दिए जाने की उम्मीद जगी है।