आखिरकार नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी को श्रीनगर से ऋषिकेश के आईडीपीएल में शिफ्ट करने का रास्ता साफ हो गया है।
एनआईटी के प्रबंधन ने यह स्वीकार किया है कि वे स्टूडेंट्स को अधिक बेहतर और सुरक्षित माहौल देने के लिए इंस्टीट्यूट को श्रीनगर से ऋषिकेश शिफ्ट करने जा रहे हैं।
इसके लिए स्कूल प्रबंधन ने छात्रों को भी बता दिया है और उन्हें जल्दी ही हड़ताल से लौट आने को कहा है। गौरतलब है कि 23 अक्टूबर को 980 स्टूडेंट्स अनिश्चित काल के लिए कैंपस छोड़ कर घर चले गए थे इंस्टिट्यूट प्रबंधन ने उन्हें जल्दी लौट आने के लिए कहा और उन्हें आश्वासन दिया कि जल्दी ही वे इंस्टीट्यूट को ऋषिकेश शिफ्ट कर देंगे। इसके लिए 5 नवंबर को लगभग 7 सदस्य टीम ऋषिकेश का गुपचुप दौरा भी कर आई है। यहां पर एक तथ्य यह भी बता दें कि इंस्टीट्यूट को शिफ्टिंग से रोकने में नाकाम मुख्यमंत्री ने कुछ दिन पहले ही कहा था कि इंस्टीट्यूट को शिफ्ट नहीं होने देंगे लेकिन शिफ्टिंग से रोकने के लिए भी उन्होंने कोई प्रयास नहीं किए।
गौरतलब है कि अक्टूबर प्रथम सप्ताह के आसपास एक स्टूडेंट कैंपस के पास दुर्घटनाग्रस्त हो गई थी, जिससे गुस्साए छात्र हड़ताल पर चले गए थे। स्टूडेंट्स का कहना था कि यह जगह दुर्घटना के लिहाज से बेहद खतरनाक है, लिहाजा उन्हें सुरक्षित कैंपस दिया जाए !
सरकार का ध्यान अब किसी तरह से निकाय चुनाव तक इस शिफ्टिंग को रोकना है। इसके बाद लगभग 20 नवंबर को कैंपस श्रीनगर से आईडीपीएल में शिफ्ट कर दिया जाएगा। हालांकि यह भी अस्थाई है। इसके मरम्मत में भी लगभग दो-तीन महीने का समय लग सकता है।
हालांकि सरकार एनआईटी के कैंपस को श्रीनगर में ही रोकने की कोशिश कर रही है और इसके लिए इस इंस्टीट्यूट को दो अलग-अलग कैंपस में चलाए जाने की योजना है। जिनमें आपस में लगभग 3 किलोमीटर की दूरी है। एक कैंपस सुमाड़ी गांव में रहेगा और दूसरा कैंपस जलेथा गांव में बनाए जाने की योजना है। किंतु सरकार की आधी अधूरी कोशिशों के कारण एनआईटी को ऋषिकेश शिफ्ट किए जाने की प्रबल संभावनाएं हैं। शिफ्टिंग के विरोध को लेकर कांग्रेस धरने पर बैठ गई है। और आजकल पुतला दहन तथा धरना प्रदर्शन की राजनीति तेज हो गई है। इधर मुख्यमंत्री ने आज मीडिया से कहा है कि उनकी केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर से बात हो गई है और वह जल्दी ही एनआईटी को सुमाड़ी में ही भूमि दिए जाने का विषय कैबिनेट में लाएंगे और आचार संहिता के बाद यह काम फाइनल कर दिया जाएगा।
मुख्यमंत्री ने साफ किया कि किसी भी हालत में एनआईटी को शिफ्ट नहीं होने दिया जाएगा और सुमाड़ी में जल्दी ही 122 एकड़ भूमि में एनआईटी का निर्माण किया जाएगा। तब तक के लिए श्रीनगर के स्थाई परिसर में आवागमन के लिए दुर्घटना से बचाव की दृष्टि से वैकल्पिक मार्ग बनाया जा रहा है।