उत्तराखंड सरकार ने पीसीएस परीक्षाओं के लिए अक्टूबर 2016 के बाद से विज्ञप्ति जारी नहीं की है। 2 साल से प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे युवक ओवर एज हो रहे हैं किंतु सरकार को इससे कोई लेना देना नहीं। इन नौकरियों के लिए विज्ञप्ति जारी करने की प्रक्रिया शासन और उत्तराखंड लोक सेवा आयोग के बीच फुटबॉल बनी हुई है।
लोअर पीसीएस वाले भी पिस रहे
लोअर पीसीएस के लिए दिनांक 20 अप्रैल 2017 को कार्मिक विभाग द्वारा कुल 49 पदों के लिए अधियाचन उत्तराखंड लोक सेवा आयोग को प्रेषित किया गया था। उसके बाद दिनांक 18 मई 2017 को पुनः 26 पदों के लिए अधियाचन आयोग को भेजा गया। दोनों बार के अधियाचन को मिलाकर कुल 74 पदों के लिए आयोग को अधियाचन प्राप्त हुए।
जब किच्छा निवासी मोहम्मद अखलाक ने आयोग से आरटीआई के माध्यम से उक्त पदों पर चयन हेतु विज्ञप्ति जारी किए जाने की सूचना मांगी तो जवाब में आयोग द्वारा यह उत्तर मिला कि कुल 54 पदों हेतु अधियाचन प्राप्त हुआ है और नियमावली में कुछ विसंगतियां हैं जिनको दूर करने के बाद विज्ञप्ति जारी की जाएगी।
दिनांक 05 सितंबर 2018 को पुनः यह जवाब मिला कि विसंगतियों को दूर किया जा रहा है। 18 माह यानि डेढ़ साल बीत जाने के बाद भी अधियाचन विज्ञप्ति का रूप नहीं ले पा रहे हैं। इतने लम्बे समय में भी विसंगतियां दूर नहीं हो रही हैं। कार्मिक विभाग आयोग के पत्रों का जवाब नहीं देता
नतीजा यह होता हैं, आयोग अधियाचन वापस कर देता है।इससे सरकार की मंशा पर प्रश्न चिन्ह लगता है।
उत्तराखंड सरकार 2018 को युवा रोजगार वर्ष के रूप में मना रही हैं जबकि हकीकत ये हैं सूबे में रोजगार के नाम पर सिर्फ खिलवाड़ हो रहा है। युवाओं के भविष्य से खेला जा रहा है।यही थे अच्छे दिन ! यही थी डबल इंजन की सरकार ! या सिर्फ चुनावी जुमला था !
ओवरएज हो रहे पीसीएस के अभ्यर्थी
इसी तरह से पीसीएस (प्रवर अधीनस्थ सेवा /एसडीएम पोस्ट वाली) नौकरियों के लिए भी 7 अक्टूबर 2016 के बाद कोई नई विज्ञप्ति जारी नहीं की गई है। 02 अगस्त 2018 को कार्मिक विभाग द्वारा कुल 26 पदों के लिए अधियाचन आयोग को दिया गया है। तीन माह बीत जाने पर भी विज्ञप्ति जारी नहीं की गई है। 25 अक्टूबर 2018 को आरटीआई के जवाब में आयोग वही घिसा पिटा जवाब दे रहा है कि विसंगतियों को दूर किया जा रहा है।दो साल के बाद भी विज्ञप्ति जारी नहीं की जा रही है जबकि अन्य राज्यों में हर साल विज्ञप्ति जारी की जाती है।