भारतीय जनता पार्टी ने झारखंड विकास मोर्चा प्रजातांत्रिक (J v m p) के विधायकों को वर्ष 2014 के विधानसभा चुनाव के बाद 11 करोड़ रुपए देकर खरीद लिया।
देखिए वीडियो
बाबूलाल मरांडी ने एक पत्र भी जारी किया, जिसमें उन्होंने दावा किया है कि बीजेपी के झारखंड प्रदेश प्रभारी त्रिवेंद्र सिंह रावत(वर्तमान में उत्तराखंड के सीएम) के आदेश पर यह पैसा छातर के एमपी सुनील सिंह और राज्यसभा सांसद महेश पोद्दार आदि के द्वारा jvmp के विधायकों को दिया गया था।
यह आरोप लगाते हुए झारखंड विकास मोर्चा के बाबूलाल मरांडी ने राजभवन जाकर राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू से मुलाकात की और इस मामले में सीबीआई जांच कराने की मांग की।
मरांडी के इन आरोपों के बाद उत्तराखंड में भाजपा नेतृत्व असहज हो गया है। गौरतलब है कि कुछ दिन पहले अमित शाह देहरादून आए थे तो उन्होंने त्रिवेंद्र रावत को अपना दोस्त बताया था जबकि उत्तराखंड में त्रिवेंद्र रावत से कहीं अधिक सक्षम और सीनियर नेता मौजूद हैं। सवाल उठ रहा है क्या त्रिवेंद्र सिंह रावत को मुख्यमंत्री पद झारखंड में निभाई गई इसी दोस्ती के इनाम का परिणाम है ! पाठकों को याद होगा झारखंड के मुख्यमंत्री रघुवर दास विधानसभा चुनाव में उत्तराखंड आए थे और उन्होंने त्रिवेंद्र सिंह रावत के समर्थन में डोईवाला में एक विशाल जनसभा भी आयोजित की थी। पर्वतजन के सूत्रों के अनुसार उन्होंने चुनाव में आर्थिक मदद भी की। मरांडी के आरोपों के बाद अमित शाह, रघुवर दास और त्रिवेंद्र रावत के झारखंड कनेक्शन की भी फिर से चर्चा गर्म हो सकती हैं।
और यदि यह मुद्दा अधिक चर्चित हुआ तो त्रिवेंद्र सिंह रावत के मुख्यमंत्री बनने के बाद से झारखंड के कितने लोगों को उत्तराखंड में ठेके तथा अन्य कार्य हासिल हुए हैं उनकी भी समीक्षा शुरू हो सकती है।
वर्ष 2003 में भाजपा छोड़ चुके पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने आरोप लगाया कि झारखंड के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष रविन्द्र राॅय ने 19 जनवरी 2015 को राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह को एक पत्र के माध्यम से जानकारी दी थी कि झारखंड मुक्ति मोर्चा के 6 विधायकों को 11 करोड रुपए दिए गए थे। बाबूलाल मरांडी ने आरोप लगाया कि बीजेपी ने उनके विधायकों को पैसा और पद देकर प्रभावित किया।
अपने आरोप के समर्थन में उन्होंने एक पत्र मीडिया में जारी किया और दावा किया कि यह पत्र रविंद्र राय के द्वारा ही लिखे गए और हस्ताक्षरित किए गए पत्र की ही फोटो कॉपी है।
इस पत्र में राय ने आगे लिखा है कि बाकी का पैसा मुख्यमंत्री रघुवर दास द्वारा विधायकों को 36 महीने के अंतर्गत दे दिया जाएगा। इस मामले पर राय आज अपना पक्ष मीडिया के समक्ष रख सकते हैं।
इस पत्र में खादी एवं ग्रामोद्योग बोर्ड के चेयरमैन संजय सेठ का नाम डील को संपन्न कराने वालों के रूप में अन्य पांच भाजपाइयों के साथ लिया गया है। हालांकि सेठ ने भी इस पत्र को फर्जी बताते हुए कहा कि भला राय क्यों अपने लेटर हेड पर इस तरह का पत्र लिखेंगे ! राय कहते हैं कि वह कोर्ट में मानहानि का मुकदमा करेंगे।
भाजपा के झारखंड प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव भी पत्र को फर्जी बताते हुए कहते हैं कि “यह पत्र एक साल से घूम रहा है। बाबूलाल मरांडी को इस मामले पर बेशर्त माफी मांगनी चाहिए।” उत्तराखंड के राजनीतिक गलियारों में इस मामले को लेकर क्या प्रतिक्रिया आती है यह भी देखने वाली बात होगी।