आकाश नागर
मुहब्बत करने वालों में ये झगड़ा डाल देती है
सियासत दोस्ती की जड़ में मट्ठा डाल देती है
मुनव्वर राणा जी का यह शेर आज उस समय जेहन में उभर आया जब मैं नैनीताल लोकसभा क्षेत्र का भ्रमण कर रहा था । काशीपुर में एक पत्रकार ने भी पूछा कि रणजीत रावत रामनगर से आगे यानि नैनीताल लोकसभा क्षेत्र में क्यों नही जा रहे है बल ? पत्रकार बंधु के इस सवाल ने झकझौर दिया।
आँखों के सामने दो जिगरी यार नेताओं के अक्श उभर आए। ऐसे लंगोटिया यार पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत और उनके सलाहकार रहे रणजीत रावत आज दूर – दूर क्यों हैं ? वह भी दिन था जब एक को जिस्म तो दुसरे को जान कहा जाता था। एक सीएम थे तो दुसरे को सुपर सीएम कहा जाता था। देहरादून की सत्ता का केंद्र यानि पंचम तल पर दो ध्रुवों के बीच राजनीतिक परिक्रमा होती थी। एक ने कही दुजे ने मानी। ऐसे थे दोनों जानी। जब हरीश रावत सरकार संकट में आई और फ्लोर टैस्ट के बुरे दौर से गुजर रही थी तो तब उनके हनुमान कहे जाने वाले रणजीत रावत ने ही इस परीक्षा में उन्हे पास कराने का बीडा उठाया था। रणजीत रावत ने यह परीक्षा तो पास करा दी, लेकिन राजनीतिक सियासत की परीक्षा में वह एक दोस्त से बिछड़ गये।
कभी हरीश रावत का साया समझे जाने वाले रणजीत रावत की परछाई भी अब कोसों दूर हो चली है। वैसे तो रामनगर से नैनीताल लोकसभा की सीमा मिलती हुई है। लेकिन एक हनुमान के लिए यह सीमा लांघकर अपने राम रुपी भाई की सहायता करने न आना लोगों को अखर रहा है।
आखिर क्या कारण हैं कि रणजीत रावत पौड़ी और अल्मोडा लोकसभा में तो पार्टी का प्रचार करने जा रहे है लेकिन नैनीताल नही आ रहे हैं ? नैनीताल से यह परहेज क्यों ? क्या दो दोस्तों में दरार आ चुकी है ? लेकिन याद रहे कि जब – जब दरार आई है तब – तब दरो दीवारें अलग – अलग हुई है। एक घर में दीवार लगने की नींव तो नही पड़ चुकी है ? ऐसे समय में जब हरीश रावत के चुनावों में हरिद्वार के कार्यकर्ता आ रहे हैं तो रणजीत रावत रामनगर से निकलकर नैनीताल आने से क्यों कतरा रहे है ? क्या हरीश रावत ही उन्हे नही बुला रहे है या रणजीत रावत खुद ही नही आ रहे हैं ?