ऑल वेदर रोड के लिए अफसर किसानों को डरा धमका रहे हैं और उन्हें बिना भुगतान किए ही कागजों पर मनमाने ढंग से हस्ताक्षर करवा रहे हैं ताकि उनको मुआवजे के भुगतान के समय मनमाने ढंग से भुगतान किया जा सके।
गौरतलब है कि ऑल वेदर रोड का निर्माण सीमांत क्षेत्रों में चीन की बढ़ती हुई गतिविधियों और रक्षा तैयारियों को देखते भी किया जा रहा है। देश के लिए महत्वपूर्ण इस कार्य का कोई भी किसान और व्यापारी देश हित में विरोध नहीं कर रहा है। इसी भावना का सड़क निर्माण के काम से जुड़े अधिकारी गलत ढंग से दोहन कर रहे हैं और किसानों और व्यापारियों को उनके हक से वंचित कर रहे हैं।
प्रदेश कांग्रेस के उपाध्यक्ष जोत सिंह बिष्ट ने ऑल वेदर रोड परियोजना में भारी घोटाले की आशंका जताते हुए कहा है कि अधिकांश कार्यदाई संस्थाएं गुजरात की है और nh से लेकर जिला प्रशासन और ग्रीफ के अधिकारी किसानों के साथ मनमानी कर रहे हैं।
प्रदेश कांग्रेस के उपाध्यक्ष जोत सिंह ने कहा है कि ऑल वेदर रोड खड़ी ढाल की पहाड़ियों के कटान वाले क्षेत्रों में हो रहा है जिससे आने वाले 20- 30 वर्षों तक निरंतर भूस्खलन होते रहेंगे। उन्होंने यह सवाल भी उठाया है कि सड़क कटान के क्षेत्र में काटे जा रहे पेड़ों की एवज में जो वृक्षारोपण होना है वह दक्षिणी राज्यों में करवाया जा रहा है जो कि गलत है।
गौरतलब है कि इससे पहले कांग्रेस के पदाधिकारी ऑल वेदर रोड में मुआवजे के भुगतान को लेकर हो रही मनमानी के विरोध में राज्यपाल को भी ज्ञापन दे चुके हैं।
टिहरी के कंडीसौड में भी ग्रामीणों ने इसको लेकर अपनी चिंताएं व्यक्त की है।
उत्तरकाशी के पटारा गांव में भी किसानों ने ऑल वेदर रोड के लिए अधिग्रहित जमीन का मुआवजा तय दर से कम देने पर आंदोलन करने की चेतावनी दी है। पटारा के गांव वालों का आरोप है कि उन्हें जमीन के मुआवजे में सर्किल रेट से 4 गुना अधिक दर पर भुगतान की बात कही गई थी लेकिन अब इससे कम दर पर भुगतान किया जा रहा है।
पटारा गांव में पहले 1 लाख 61,000 रुपए प्रति नाली की दर से रजिस्ट्री हो चुकी है। जबकि अब ऑल वेदर रोड में उन्हें ₹32000 प्रति नाली की दर से भुगतान करने की बात कही जा रही है। ग्रामीणों ने मुआवजा राशि सही न करने पर NH का काम ठप कराने की चेतावनी दी है।