बसपा से निष्कासित होने के बाद अब हरिद्वार के कद्दावर नेता मोहम्मद शहजाद को भाजपा में लाए जाने की तैयारी हो रही है।
इसकी शुरुआत भारतीय जनता पार्टी हरिद्वार जिला पंचायत के चुनाव में शहजाद को समर्थन देकर कर सकती है। शहजाद के भाजपा में आने की संभावना मात्र से ही हरिद्वार में भाजपा के 4 विधायकों को सीधे नुकसान होना तय है। इनमें कुंवर प्रणव चैंपियन, संजय गुप्ता, यतीश्वरानंद और आदेश चौहान मुख्य हैं।
इस सुगबुगाहट मात्र से हरिद्वार में भाजपा के कार्यकर्ताओं ने व्यापक विरोध प्रदर्शन की तैयारी कर ली है।
इधर शहजाद ने एक बयान जारी करके कहा है कि उनको बसपा से निष्कासित कराने के लिए बसपा कार्यालय में ही एक बड़ी डील हुई है। शहजाद ने कहा कि 18 जुलाई को वह इस भारी षड्यंत्र का खुलासा करेंगे। शहजाद ने कहा कि मुख्यमंत्री से उनके 15 साल पुराने संबंध है और शादी विवाह जैसे सामाजिक कार्यक्रमों में मेलजोल को अगर पार्टी प्रतिबंधित करती है तो वह ऐसी पार्टी को लात मारते हैं।
वर्तमान समीकरणों के अनुसार ऐसा लगता है कि शहजाद को भारतीय जनता पार्टी में शामिल होकर कोई खास फायदा नहीं मिलने जा रहा। विगत लोकसभा तथा विधानसभा चुनाव में उत्तरप्रदेश तथा उत्तराखंड में भाजपा ने मुस्लिम नेताओं को टिकट देने में पूरी तरह से परहेज बरता है। इससे लगता है कि भाजपा शहजाद को बसपा से निकालकर केवल उनके जनाधार को कमजोर करना चाहती है।
इससे पहले शहजाद बसपा से 3 बार निष्कासित हो चुके हैं। अंतिम बार वह बसपा में इसी शर्त पर गए थे कि उन्हें दोबारा निष्कासित नहीं किया जाएगा। अपने समुदाय के एक छात्र नेता होने के कारण वह जिस तरह की स्वतंत्रता बसपा में चाहते हैं, वह उन्हें नहीं मिली तो वह बसपा के अनुसार ज्यादा कदमताल नहीं कर सके।
बहरहाल इधर संजय गुप्ता को पार्टी द्वारा नोटिस जारी किए जाने के बाद संजय गुप्ता के तेवर थोड़ा सा नरम नजर आ रहे हैं। आज उन्होंने मीडिया से कुछ खास नहीं कहा। गौरतलब है कि देहरादून में भाजपा प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट ने लक्सर विधायक संजय गुप्ता के बयान को गंभीरता से लेते हुए मीडिया से कहा कि विधायक संजय गुप्ता को अनुशासनहीनता के आरोप में 10 दिन के भीतर जवाब मांगा गया है।
तेजी से सहयोगी विधायकों का समर्थन खोते जा रहे मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की एक बड़ी मजबूरी फिलहाल यह बन चुकी है कि मदन कौशिक सरीखे तेज तर्रार कैबिनेट मंत्री और जो चुनिंदा विधायक उनके साथ हैं, वह उन्ही के अनुसार चलने को बाध्य हो रहे हैं।
यह विधायक तथा मंत्री उन्हें अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं के अनुसार संचालित करने लगे हैं। इसका दुष्परिणाम यह हो रहा है कि एक ओर उनसे नाराज होने वाले बीजेपी के विधायकों की संख्या में इजाफा हो रहा है, दूसरा वह जनता के बीच तेजी से अलोकप्रिय भी हो रहे हैं। काफी लंबे समय से लोग यह भी नोटिस कर रहे हैं कि जब भी मुख्यमंत्री मीडिया से मुखातिब होते हैं तो कैमरे में उनके पीछे नजर आने वाले चेहरों में ऐसे चेहरे अधिकांश रहते हैं जो जनता के लिए तो अजनबी होते ही हैं, उनके लिए भी जनता अजनबी होती है। जाहिर है कि यह मुख्यमंत्री की लोकप्रियता के लिए एक नकारात्मक संदेश है।
संजय गुप्ता को डेढ़ महीने से मिलने के लिए समय न देने के पीछे भी यही कारण नजर आ रहा है कि मुख्यमंत्री एक ऐसे कॉकस में घिर गए हैं, जो उन्हें कॉकस की इच्छा के विपरीत सोच रखने वालों को मुख्यमंत्री से मिलने तक नहीं देना चाहता।