बागेश्वर में विद्युत व्यवस्था संभालने वाले यूपीसीएल और उरेडा जैसे विभाग खटारे ट्रांसफार्मरों और लकड़ी के डंडों के जुगाड़ पर 24 घंटे बिजली पहुंचाने का दावा करते हैं।
कृष्णा सिंह बिष्ट/अल्मोड़ा
प्रदेश के अधिकारी व कर्मचारियों पर सरकार का कोई अंकुश व निगरानी न होने के कारण संबंधित विभागों का उत्तरदायित्व जनता के प्रति समाप्त हो गया है। शायद यही कारण है कि ‘उत्तराखंड पावर कारपोरेशन लिमिटेडÓ ने सन 2013 की आपदा के तहत 4 करोड़ 77 लाख की योजना का बागेश्वर जनपद में कपकोट ब्लाक के अंतर्गत आने वाले ग्राम ‘कर्मीÓ में ‘यूपी स्टेट इलेक्ट्रिसिटी बोर्डÓ का ३२ वर्ष पुराना 3 एमवीए की क्षमता का ट्रांसफार्मर लगा दिया गया, जिस का उद्घाटन भी प्रदेश के मुख्यमंत्री हरीश रावत द्वारा 23 नवंबर 2015 को कर दिया गया। इसी ट्रांसफार्मर पर ग्राम ‘कर्मीÓ के साथ-साथ क्षेत्र के दर्जनों गावों को रोशन करने का जिम्मा है।
इस बाबत विद्युत विभाग के अधिसाशी अभियंता का कहना था कि वर्तमान में इतने कम केवी के ट्रांसफार्मर नहीं बनते, जिस कारण हमको यह 32 वर्ष पुराना ट्रांसफार्मर ‘कर्मीÓ में लगाना पड़ा। यह बात किसी के गले से नहीं उतर रही, क्योंकि अगर 3 एमवीए के ट्रांसफार्मर का बनना ही बंद हो गया है तो भविष्य में जरूरत पडऩे पर उसके कलपुर्जे किस प्रकार उपलब्ध होंगे?
अधीक्षण अभियंता दुत्य कार्य खंड विद्युत (एस.एफ) नीरज टम्टा कहते हैं कि इस प्रकार के पुराने 3 एम.वी.ए. के ट्रांसफार्मर सिर्फ कर्मी ही नहीं, अन्य स्थानों पर भी लगे हैं, 3 एम.वी.ए. का ट्रांसफार्मर अगर कारपोरेट से आर्डर करते हैं तो उसकी टाइप टेस्ट रिपोर्ट नहीं मिल पाती, इस कारण पुराने ट्रांसफार्मर को ओवर आल कर ‘एज गुड एज न्यूÓ बना दिया गया है।
पुराने ट्रांसफार्मर का सिर्फ टैंक वहीं होता है और सब कुछ बदल दिया जाता है। कर्मी का लोड 3 एम.वी.ए. से अधिक नहीं है, जो भी नये ट्रांसफार्मर कारपोरेट से टेंडर होते हंै, वो 5 एम.वी.ए. से ऊपर होते हंै।
जिला पंचायत सदस्य गोविन्द सिंह दानू भी इससे आक्रोशित हैं। वह कहते हैं कि उक्त उप संस्थान से (ट्रांसफार्मर) मल्लादानपुर के पिण्डर घाटी और न्याय पंचायत कर्मी के लगभग 16 ग्राम सभाओं के हजारों उपभोकताओं को विद्युत आपूर्ति होनी है, किंतु संस्थान ने मात्र 3 एम.वी.ए. का ट्रांसफार्मर लगा कर अपनी जिम्मेदारी निभा दी, जिसकी क्षमता से संपूर्ण प्रस्तावित क्षेत्र में विद्युत आपूर्ति संभव नहीं है।
इस से पूर्व उक्त ग्रामसभाओं में उरेडा द्वारा लघु जल विद्युत परियोजना के माध्यम से विद्युत आपूर्ति होती थी, जो विद्युत आपूर्ति भविष्य में यूपीसीएल और उरेडा के सिंक्रोनाइजेशन के माध्यम से क्षेत्र में प्रस्तावित है, किंतु वर्तमान में यूपीसीएल द्वारा एकमात्र कर्मी ग्रामसभा में ही विद्युत आपूर्ति हो रही है और वो भी लो वोल्टेज की समस्या के कारण दम तोङ़ रही है।
ऊर्जा विभाग के साथ ही उरेडा विभाग भी पहाड़ का मखौल उड़ा रहा है। बागेश्वर जिले के दूरस्थ ग्राम ‘सराग-धूरÓ में उरेडा द्वारा लगाए गए बिजली के खंबों की ऊंचाई बढ़ाने के लिए उन पर लकड़ी के गिल्टे ठोक कर खंभों पर पॉलिथिन से बिजली के तार बांधे गये हैं। इससे कोई अनहोनी हो सकती है।
उप संस्थान से (ट्रांसफार्मर) मल्लादानपुर के पिण्डर घाटी और न्याय पंचायत कर्मी के लगभग 16 ग्राम सभाओं के हजारों उपभोकताओं को विद्युत आपूर्ति होनी है, किंतु संस्थान ने मात्र 3 एम.वी.ए. का ट्रांसफार्मर लगा कर अपनी जिम्मेदारी निभा दी।