भीमताल के विधायक दान सिंह भंडारी ने भाजपा का दामन छोड़कर कांग्रेस का हाथ पकडऩे को बेताब हैं। इससे आगामी विधानसभा चुनाव में टिकट के भाजपाई दावेदार खुश हैं तो कांग्रेसी उम्मीदवारों में बेचैनी बढ़ गई है।
जगमोहन रौतेला
दस विधायकों को पार्टी के खिलाफ करवाकर भाजपा इसे अपनी बहुत बड़ी राजनैतिक जीत समझ रही थी और इससे उसे एक नई राजनैतिक ताकत भी मिली, पर भाजपा की इस खुशी को तब एक तगड़ा झटका लगा, जब गत 10 जून 2016 को उसके भीमताल के विधायक दानसिंह भण्डारी ने अचानक राज्यसभा चुनाव के मतदान से ठीक एक दिन पहले पार्टी की प्राथमिक सदस्यता और विधानसभा से त्यागपत्र दे दिया। पार्टी को भण्डारी के इस कदम की पहले कोई भनक तक नहीं लगी। ताजा राजनैतिक हालात में भले ही झटका भाजपा को लगा हो, लेकिन इससे भाजपा की बजाय कांग्रेस में बेचेनी बढ़ गई है।
भण्डारी ने त्यागपत्र देने के दो हफ्ते बाद 23 जून 2016 को लेटीबूंगा (धारी-भीमताल) की एक जनसभा में मुख्यमंत्री हरीश रावत के सामने धारी की ब्लॉक प्रमुख अंजू नयाल व जिला पंचायत सदस्य बीर राम सहित अपने सैकड़ों समर्थकों के साथ कांग्रेस का (हाथ) थाम लिया। ऐसे में मुख्यमंत्री हरीश रावत से उनकी नजदीकियों के कारण यह एक तरह से लगभग तय माना जा रहा है कि आगामी विधानसभा चुनाव में भीमताल विधानसभा सीट से वे ही कांग्रेस के प्रत्याशी होंगे। इसी तय राजनैतिक संभावना के कारण ही कांग्रेस में एक तरह की राजनैतिक बेचैनी का आलम है।
यह संभावना इसलिए भी पक्की मानी जा रही है कि जब फरवरी 2014 में हरीश रावत मुख्यमंत्री बने तो उन्हें ऐसी विधानसभा सीट की तलाश थी, जहां से वे आसानी से उपचुनाव जीत जाएं। जून 2014 में मुख्यमंत्री के हल्द्वानी दौरे के समय यह चर्चा जोरों पर चली कि दानसिंह भण्डारी मुख्यमंत्री के लिए भीमताल सीट से त्यागपत्र दे सकते हैं।
मुख्यमंत्री हरीश रावत के साथ सर्किट हाउस में उनकी गुप्त मुलाकात होने की खबरों ने तब भाजपा को बेचैन कर दिया था। यह अलग बात है कि भण्डारी ने मुख्यमंत्री के साथ किसी भी तरह की मुलाकात का जोरदार खंडन किया और इसे केवल मीडिया का कयास करार दिया था। इन कयासों को तब विराम मिला था, जब मुख्यमंत्री ने विधानसभा पहुंचने के लिए धारचूला सीट का चयन किया, तब कांग्रेस के वहां से विधायक हरीश धामी ने त्यागपत्र दिया। भण्डारी के विधानसभा से त्यागपत्र देने के साथ ही भाजपा की स्थानीय इकाई उनके खिलाफ हमलावर हो गई। हल्द्वानी, नैनीताल, भीमताल व भवाली सहित अनेक स्थानों पर उनके पुतले फूंके गए।
भीमताल से टिकट के प्रबल दावेदार भाजयुमो प्रवक्ता ध्रुव रौतेला ने भंडारी के त्यागपत्र को क्षेत्र की जनता के साथ धोखा करार देते हुए कहा,- ”भाजपा कैडर वाली पार्टी है। भण्डारी के पार्टी छोडऩे से पार्टी के जनाधार में कोई कमी नहीं आएगी, लेकिन उन्होंने जिस तरह से विधानसभा की सीट व पार्टी छोड़ी, वह क्षेत्र की उस जनता के साथ विश्वासघात है, जिसने उन्हें भाजपा विधायक के रूप में चुना। जिस तरह यह पूरा घटनाक्रम घटा वह किसी बड़ी सौदेबाजी की ओर भी इशारा करता है।ÓÓ ओखलकांडा में हुई भाजपा की एक बैठक में तो उन पर विधायक निधि का दुरुपयोग करने, सहकारिता के चुनाव में भाजपा प्रत्याशी के खिलाफ कार्य करने, किसानों को मुआवजा न देने और सड़कों सहित कई विकास योजनाओं की झूठी घोषणा करने तक के गंभीर आरोप लगा डाले।
भाजपा की ओर से भले ही अब भण्डारी पर कई गंभीर राजनैतिक आरोप लग रहे हों, लेकिन इससे टिकट के दावेदारों की बांछें खिल गई हैं, क्योंकि उनका एक प्रबल प्रतिद्वंदी खुद ही रेस से बाहर हो गया। भाजपा से टिकट के दावेदारों में पूर्व मंत्री गोविंद सिंह बिष्ट (जिनका टिकट काटकर ही गत विधानसभा चुनाव में दानसिंह भण्डारी को भाजपा ने प्रत्याशी बनाया था), युवा मोर्चा के प्रवक्ता ध्रुव रौतेला, भाजपा की जिला महामंत्री भावना मेहरा, नैनीताल के जिलाध्यक्ष मनोज शाह और पूर्व जिलाध्यक्ष देवेन्द्र ढैला के नाम प्रमुख रूप से चर्चाओं में हैं।
कांग्रेस में बेचैनी टिकट के दावेदारों में है, क्योंकि उनके सामने एक मजबूत दावेदार आ गया है। कांग्रेस से टिकट की दौड़ में पूर्व सांसद महेंद्र सिंह पाल, एनडी तिवारी के जैविक पुत्र रोहित शेखर तिवारी, कांग्रेस के प्रदेश सचिव राम सिंह कैड़ा, जिला पंचायत के सदस्य डा. हरीश बिष्ट (जिनकी पत्नी गीता बिष्ट भीमताल की ब्लाक प्रमुख हैं), वरिष्ठ नेता जया बिष्ट , जीत सिंह नौलिया और पुष्कर सिंह मेहरा के नाम शामिल हैं। इनमें से राम सिंह कैड़ा गत विधानसभा चुनाव कांग्रेस से लड़ चुके हैं। भण्डारी के कांग्रेस में शामिल होने के कारण टिकट के दावेदारों की बेचेनी और बढ़ गई है, क्योंकि उन्हें समझ नहीं आ रहा है कि भण्डारी के खिलाफ अभी से पार्टी में मोर्चा खोलें या नहीं?
वैसे भण्डारी ने पार्टी व विधायिकी से त्यागपत्र देने का प्रमुख कारण सांसद भगत सिंह कोश्यारी व भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट द्वारा पिछले कुछ समय से लगातार की जा रही उनकी उपेक्षा को बताया। भण्डारी ने कहा कि उन्होंने भट्ट से पूर्व ब्लाक प्रमुख खड़क सिंह नगदली, प्रकाश बोरा और राम सिंह मेहरा को प्रदेश कार्यकारिणी में स्थान देने को कहा, लेकिन उनकी बात को अनसुना कर दिया गया।
इसके अलावा भण्डारी ने संघ के प्रचारकों पर भी उनकी विकास योजनाओं में जबरन दखल देने का आरोप लगाते हुए कहा,- ”संघ के प्रचारक विधायक निधि के वितरण में अनावश्यक हस्तक्षेप करते थे। मैं अपने विवेक से विधायक निधि तक नहीं बांट सकता था। गत 7 जून 2016 की शाम मैं क्षेत्र के एक बीमार व्यक्ति को मुख्यमंत्री विवेकाधीन कोष से सहायता दिलाने के लिए उनसे मिलना चाहता था, लेकिन प्रदेश अध्यक्ष भट्ट ने मुख्यमंत्री से न मिलने का आदेश देते हुए अनुशासनात्मक कार्यवाही की चेतावनी ही दे दी। बस मैंने खट्टे मन से आत्म सम्मान की खातिर पार्टी को अलविदा कह दिया।