खुले में शौच से मुक्त नहीं हो पाए सांसद आदर्श गांव
चुनावी मोड में उतरे सांसद
२१ अगस्त २०१७ को भारत सरकाररूपी बड़ा इंजन उत्तराखंड के छोटे इंजन से विचार-विमर्श करेगा। यह विचार-विमर्श इसलिए नहीं किया जा रहा कि उत्तराखंड में पिछले तीन सालों में केंद्र सरकार से क्या-क्या मिला, बल्कि यह विचार-विमर्श २०१९ के लोकसभा चुनाव की तैयारियों के संदर्भ में किया जाना है। हालांकि २०१९ के लोकसभा चुनाव के लिए आचार संहिता लगने में अभी डेढ़ वर्ष का समय है, किंतु बड़े इंजन का चुनाव को लेकर विचार-विमर्श करना अपने आप में काफी महत्वपूर्ण भी है। इन सबसे इतर जो गंभीर सवाल उत्तराखंड के परिपे्रक्ष्य में है, वह उत्तराखंड के आठ सांसदों द्वारा गोद लिए गए वे आदर्श गांव हैं, जिन पर अब सभी सांसदों ने मौन साध लिया है। तब गोद लिए गए गांवों को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर सारे मंत्रियों और सांसदों ने जो शोर मचाया था, उससे तो ऐसा लगता था कि
अब तो देश के तकरीबन ८०० से अधिक गांवों का पूरा देश ही नहीं, दुनिया में भी डंका बज जाएगा।
मार्च २०१९ तक के लिए प्रत्येक सांसद को तीन आदर्श ग्राम बनाने का लक्ष्य दिया गया था। इसके अंतर्गत बिजली, पानी, सड़क, स्वास्थ्य, शिक्षा सरीखी सुविधाएं उपलब्ध कराई जानी थी, किंतु पिछले एक साल से किसी भी सांसद ने अपने आदर्श ग्रामों के बारे में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई।
नैनीताल से सांसद भगत सिंह कोश्यारी ने ऊधमसिंहनगर के सरपुड़ा बग्गाचौवन गांव को आदर्श गांव के लिए चयनित किया था। यहां आज भी लोग खुले में शौच करते हैं। यहां के २०० घरों में आज भी शौचालय नहीं हैं। ६००० की आबादी वाले सरपुड़ा गांव के ग्राम प्रधान अतीक अहमद कहते हैं कि जब गांव का मुख्य मार्ग ही नहीं बना है तो आदर्श गांव की बात ही दूर है। बरसात में यहां के रास्ते बंद हो जाते हैं।
टिहरी की सांसद माला राज्य लक्ष्मी शाह ने उत्तरकाशी के डुंडा ब्लॉक के सड़क से लगे बौन गांव को गोद लिया था। माला राज्य लक्ष्मी ने उरेडा को ५० स्ट्रीट लाइट लगवाने के निर्देश दिए थे और नौ शौचालय बनवाने के स्वजल विभाग को निर्देश दिए थे। इसके अलावा गरीबों को इंदिरा आवास, दीनदयाल आवास, छात्रवृत्तियां और सौड़ा-मंदारा सड़क निर्माण के लिए कड़े निर्देश दिए थे, किंतु इनमें से कई काम तो शुरू ही नहीं हुए और कुछ में आधा-अधूरा ही काम करके विभागों ने इतिश्री कर ली।
हरिद्वार के सांसद रमेश पोखरियाल निशंक द्वारा हरिद्वार में गोद लिए गए गोवर्धन गांव में नालियों और शौचालयों के निर्माण हो चुके हैं। यहां पर २५ बैड वाले एएनएम सेंटर के लिए तथा ५० सोलर लाइटें लगाने के लिए शुरुआत हो चुकी है।
केंद्रीय मंत्री अजय टम्टा ने सूपी गांव को गोद लिया। अजय टम्टा ने चार गांव गोद लिए हैं। पिथौरागढ़ के जुम्मा गांव के विषय में टम्टा का कहना है कि इन गांवों में मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराने पर जोर रहेगा।
पौड़ी के सांसद भुवनचंद्र खंडूड़ी ने केदारनाथ आपदा की चपेट में आए देवली भणीग्राम को सांसद आदर्श ग्राम के लिए चुना था। जहां पर यहां के ग्राम प्रधान हरिप्रकाश का कहना है कि गांव की सड़कें और पेयजल लाइन अक्सर क्षतिग्रस्त हो जाती हैं। करोड़ों के प्रस्ताव अभी स्वीकृत नहीं हो पाए हैं। हालांकि ढाई करोड़ रुपए तक के काम इस गांव में हो चुके हैं।
इन सांसदों ने अब इन आदर्श ग्रामों पर एक तरह से मौन साध लिया है और अब ये इन पर बोलने को तैयार नहीं।
लोकसभा सांसदों की भांति उत्तराखंड से राज्यसभा सांसद महेंद्र सिंह महरा ने चंपावत जिले के रौलमेल गांव और राजबब्बर ने चमोली के लामबगड़ गांव को इस योजना के तहत गोद लिया। प्रदीप टम्टा ने बागेश्वर का बाछम गांव गोद लिया है। टम्टा सितंबर के पहले हफ्ते में बाछम जाकर काम शुरू करने की बात कह रहे हैं। उनका कहना है कि उन्होंने जिला प्रशासन से सांसद आदर्श ग्राम योजना की डिटेल मांगी है।
आदर्श गांवों को धनराशि जारी करने में तरुण विजय और राजबब्बर सबसे पीछे रहे हैं। इसके बाद अजय टम्टा का नंबर है। तरुण विजय ने टिहरी के तेवा गांव को गोद लिया था, किंतु धनराशि जारी करने में कंजूसी कर गए। आदर्श गांव को लेकर सबसे अधिक दिलचस्पी डा. रमेश पोखरियाल निशंक और भगत सिंह कोश्यारी ने ही दिखाई।