उत्तरकाशी। श्री 5 गंगा पुरोहित सभा गंगोत्री धाम के अध्यक्ष ने नगर पंचायत गंगोत्री की कार्य प्रणाली पर कई सवाल खड़े किए हैं। आरोप है कि नगर पंचायत में जितने कर्मचारियों को कागजों में तनख्वाह दी जाती है, उतने कर्मचारी धरातल पर कहीं दिखाई ही नहीं देतेे।
श्री 5 गंगा पुरोहित सभा गंगोत्री धाम के अध्यक्ष पवन सेमवाल (रावल) का आरोप है कि हर वर्ष यात्रा सीजन में नगर पंचायत क्षेत्रांतर्गत लाखों रुपये खर्च किए जाते हैं, लेकिन निर्माण कार्य पूर्ण होने के बाद भी व्यवस्थाएं जस की तस दिखाई देती हैं। नगर पंचायत गंगोत्री सफाई के नाम पर बजट डकारने में माहिर है, लेकिन धरातल पर कोई कार्य किसी को कभी नहीं दिखाई देता है। सेमवाल आरोप लगाते हैं कि नगर पंचायत क्षेत्र के अंतर्गत जो भी निर्माण कार्य करवाए जाते हैं, वह बिना टेंडर के ही करवाए जाते हंै। इससे स्पष्ट होता है कि नगर पंचायत के अधिकारी अपने चहेतों को लाभ पहुंचाने के लिए इस प्रक्रिया को नहीं अपनाते। इसका असर यह है होता है कि कार्यो की गुणवत्ता बेहद घटिया किस्म की होती है और निर्माण कार्य कुछ दिनों बाद ही उखडऩे लगते हैं।
क्षेत्रवासी बताते हैं कि नगर पंचायत में बैठे अधिकारी भी इसलिए मौन मुद्रा में बैठे हैं कि उन्हें भी कमीशन का एक भाग समय पर पहुंच जाता है।
सेमवाल एक वाकया के माध्यम से आपबीती याद दिलाते हुए कहते हैं कि गंगोत्री धाम की नगर पंचायत का आलम यह है कि पूर्व में मेरे द्वारा सूचना के अधिकार में यहां हो रही अनियमितताओं से संबंधित सूचनाएं मांगी गई। नगर पंचायत से सूचना देने की बजाय मुझे डरा धमकाकर मुझसे सूचना न मांगने का दवाब बनाया गया था। इससे बड़ी आसानी से स्पष्ट हो जाता है कि नगर पंचायत में भ्रष्टाचार का खेल किस तरह धड़ल्लेे से खेला जा रहा है।
गंगा पुरोहित सभा गंगोत्री के अध्यक्ष द्वारा एक बैठक में सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित किया गया है कि यहां जो भी विकास कार्य किए जाएंगे, उसकी मॉनिटरिंग स्वयं गंगा पुरोहित सभा करेगी और किसी भी प्रकार की अनियमिताओं को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
पवन सेमवाल बताते हैं कि उन्होंने स्वयं गत वर्ष सरकार से मनोनीत होकरसदस्य (उपाध्यक्ष)के रूप में नगर पंचायत में सेवा दी थी। उन्हें सिर्फ 4-5 महीने ही नगर पंचायत में पद पर रहते हुए काम करने का मौका मिला। इस दौरान उन्होंनेे जब भी अनियमितताओं व भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाने की कोशिश की, हमेशा उन्हें डरा-धमकाकर जबरन चुप करा दिया गया। वहां के कार्यों को करीब से देखने पर उन्हें समझ आया कि नगर पंचायत गंगोत्री में किस स्तर तक भ्रष्टाचार हो रहा है और वाकई यहां दाल में काला है।
कुल मिलाकर नगर पंचायत गंगोत्री पर गंगा पुरोहित ने अनियमितताओं व भ्रष्टाचार के गंभीर सवाल उठाए हैं, इससे निश्चित रूप से नगर पंचायत की कार्यप्रणाली संदेह के घेरे में आ गई है। अब देखना यह है कि नगर पंचायत गंगोत्री केे खिलाफ कब तक कार्रवाई हो पाती है। या फिर हमेशा की तरह ही कमीशन का पाशा फेंककर कार्रवाई करने वालों का मुंह बंद करा दिया जाता है!