गंगोत्री मे ही गंगा ढो रही मैला
40 घरों के लिए 10 करोड़
7 साल मे तैयार हुआ सीवर ट्रीटमेंट प्लांट
तीन वर्ष की देरी के बाद भी हैंड ओवर नहीं
एक दूसरे पर दोष डालने मे जुटे अधिकारी
गिरीश गैरोला
गंगोत्री मे 40 सीवर संयोजन के लिए केंद्र सरकार ने साढ़े दस करोड़ रु खर्च कर दिये। इससे पता चलता है कि गंगा प्रदूषण और स्वच्छता अभियान को लेकर सरकार कितनी संजीदा है! किन्तु इस पर काम करने वाले दो विभाग निर्माण एवं अनुरक्षण इकाई (गंगाप्रदूषण ) और जल संस्थान इस पर पलीता लगाने मे कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं।
विगत सात वर्षो से बन रही इस परियोजना को अभी तक कोई भी सीवर कनेक्सन नहीं मिल सकाऔर गंगा अपने मुहाने पर ही मैला धोने को विवश हो रही है। इतना ही नहीं सीवर लाइन का संरेखण ऐसा है कि इसके डाउन मे दर्जनों होटल और धर्मशालाओं से सीवर लाइन संयोजन लिया ही नहीं जा सकता है। ऐसे मे एक भी घर का सीवर गंगा मे पहुंचा तो नमामि गंगे को गंगोत्री मे ही प्रणाम हो जाएगा।
भारी बजट खर्च होने के बावजूद दो विभागों की लापरवाही के चलते गंगा के मायके गंगोत्री में भागीरथी गंगा मैली हो रही है। यहां सीवर व होटलों के गंदे पानी को भागीरथी में गिरने से रोकने के लिए सीवर ट्रीटमेंट प्लांट तो तैयार कर दिया है, लेकिन संचालन शुरू नहीं हो सका है। इन विभागों की लापरवाही से गंगोत्री मे धार्मिक आस्था को ठेस पहुंच रही है।
निर्माण एवं अनुरक्षण इकाई (गंगा) के परियोजना प्रबंधक सुरेश पाल ने बताया कि गंगोत्री मे राष्ट्रीय गंगा नदी बेसिन प्राधिकरण के तहत सीवर ट्रीटमेंट प्लांट लगाने की सुरुवात वर्ष 2010 में शुरू हो गयी थी। इसके लिए एक मिलियन लीटर पर डे (एमएलडी) सीवर ट्रीटमंट प्लांट (एसटीपी) के लिए 10.48 करोड़ का बजट स्वीकृत हुआ था। इस योजना को नवंबर 2014 में पूरा होना था, किन्तु बीच मे ठेकेदार ही काम छोडकर भाग खड़ा हुआ। जिसके लिए दुबारा टेंडर प्रक्रिया हुई , वर्ष 2013 की आपदा ने भी समय पर काम पूरा होने की रफ्तार रोक दी। अब तय सीमा से तीन साल और बीत जाने के बाद यह कार्य पूरा तो हुआ किन्तु अभी तक एक भी जल संस्थान द्वारा सीवर कनेक्सन नहीं दिये जाने से इस योजना का संचालन अभी तक शुरू नहीं हो पाया है।
जल संस्थान को अभी सीवर की लाइन से गंगोत्री के होटल, धर्मशालाओं तथा घरों को जोड़ा जाना है। इस नए प्लांट की अभी तक टेस्टिंग भी नहीं हुई है कि लाइन ठीक से काम कर रही है अथवा नहीं । ऐसे मे प्लांट का संचालन शुरू न होने से गंगोत्री के होटल,धर्मशालाओं व आश्रमों का सीवर गंगा में गिर रहा है। गंगोत्री में पुल के पास तो गंगा किनारे सीवर की बदबू फैली है। साथ होटल धर्मशालाओं की नाली का गंदा पानी भी रिस कर गंगा में ही जा रहा है।
होटल – धर्मशालाओं के सीवर कनेक्सन देने के लिए ज़िम्मेदारी संभाले जल संस्थान के अधिसासी अभियंता बीएस डोगरा ने आरोप लगाया कि निगम ने प्लांट अभी तक पूरी तरह से तैयार ही नहीं किया है, और न ही इसके संचालन के लिए बिजली का कनेक्सन लिया गया है। इतना ही नहीं दर्जनो ऐसे उपभोक्ता है, जिनके सीवर आउटलेट्स, सीवर लाइन से नीचे है। ऐसे मे इन घरों और होटेलों का सीवर तो गंगा मे ही गिरना तय है। उन्होने बताया कि करीब 40 लोगों ने सीवर लाइन से जुड़ने की इच्छा जताई थी। जिसमे 20 लोगो को फार्म बांटे जा चुके हैं।
मीडिया मे अधिकारी कुछ भी बयान दें किन्तु ये तय है कि डेढ़ महीने का समय बिजली का संयोजन लेने मे लग जाता है। जबकि 20 अक्तूबर को गंगोत्री के कपाट बंद होने वाले हैं लिहाजा अगले सीजन तक काम नहीं होने का बहाना मिलना तो तय है।