सुप्रीम कोर्ट ने आज एक महत्वपूर्ण फैसले में आईपीसी की धारा 497 को समाप्त कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने इसे महिलाओं की गरिमा के खिलाफ माना है।
गौरतलब है कि केरल के एक एनआरआई ने आईपीसी की धारा 497 को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देते हुए कहा था कि यह कानून को जेंडर के आधार पर बांटता है जो कि सही नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने दिसंबर 2017 में यह याचिका स्वीकार की थी और जनवरी में संविधान पीठ को सौंप दिया था। आइए जानते हैं सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मुख्य बिंदु:
विवाहेत्तर संबंध अब अपराध नहीं माना जाएगा। हालांकि विवाहेतर संबंधों को तलाक का आधार बनाया जा सकेगा। सुप्रीम कोर्ट ने एडल्ट्री कानून को समाप्त करते हुए बताया कि महिलाएं कोई वस्तु नहीं है। यह महिला और पुरुष समानता के कानून की बात करता है।
यदि विवाहेतर संबंधों के कारण पत्नी आत्महत्या करती है तो पति के खिलाफ आत्महत्या के लिए उकसाने का वाद दायर किया जा सकता है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि असंतुष्ट शादीशुदा जिंदगी में महिलाओं की यौन इच्छाओं को नहीं रोका जाना चाहिए।
धारा 497 मात्र पुरुषों को दोषी ठहराते हैं। धारा 497 के अंतर्गत एडल्ट्री के मामले में मात्र पुरुषों को ही सजा दिए जाने का प्रावधान था महिलाओं को सजा का इसमें कोई जिक्र नहीं था।