अटल आयुष्मान योजना के अंतर्गत सूचीबद्ध अस्पताल प्रिया हॉस्पिटल की सूचीबद्धता समाप्त कर दी गई है। प्रिया अस्पताल ने अपने आवेदन पत्र में लिखा था कि उनके यहां कार्यरत डॉ जॉर्ज सैमुअल प्रिया अस्पताल में हर समय उपलब्ध रहेंगे किंतु डॉक्टर सैमुअल ढंडेरा, हरिद्वार के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में भी पूर्णकालिक चिकित्सक के रूप में कार्यरत हैं।
गलत तरीके से संबद्धता हासिल करने के कारण प्रिया अस्पताल की सूचीबद्धता निरस्त कर दी गई है साथ ही उनके द्वारा अभी तक क्लेम की गई धनराशि ₹1,78,200 को भी 7 दिन के अंदर सरकार को वापस करने के आदेश दिए गए हैं। यह राशि अस्पताल को भुगतान हो चुकी थी। इसके अलावा अस्पताल का लंबित क्लेम 1,18,800 रुपए भी अब अस्पताल को नहीं दिया जाएगा।
गौरतलब है कि अस्पताल के प्रबंधक सनी दत्त सैनी ने गलत जानकारी देकर अटल आयुष्मान योजना के अंतर्गत खुद को सूचीबद्ध कराया था।
आज अटल आयुष्मान उत्तराखंड योजना के मुख्य कार्यकारी अधिकारी युगल किशोर पंत ने सूचीबद्धता निरस्त करने के आदेश जारी किए हैं।
इसके अलावा जसपुर उधम सिंह नगर के मेट्रो हॉस्पिटल को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है। अस्पताल ने अपने यहां 16 मई 2019 तक कुल 67 मरीजों को अपने यहां उपचार प्राप्त करना दिखाया है लेकिन इसके साथ ही 26 मरीजों की सर्जरी उपचार से पहले ही कर दी गई जबकि यह अटल आयुष्मान योजना के नियमों के बिलकुल खिलाफ है। इससे शासन को यह यह संदेह हुआ कि यह कृत्य मरीजों के उपचार में धोखाधड़ी हो सकती है।
इसके अलावा 18 मरीजों से जब संपर्क किया गया तो उनमें से 15 मरीजों ने यह बताया कि जसपुर मैट्रो चिकित्सालय ने रोगी का निशुल्क उपचार न करते हुए उनसे धनराशि वसूल की थी। इससे साफ है कि मरीजों की जांच और दवाइयों और सर्जरी के लिए उन से अवैध रूप से शुल्क लिया गया है, जबकि आयुष्मान योजना के अंतर्गत कैशलेस सेवाएं दी जाती हैं।
इससे साफ है कि अस्पताल ने अनुबंध का उल्लंघन तो किया ही साथ ही धोखाधड़ी और अवैध धनराशि की भी वसूली की। इसके अलावा शासन ने अपनी जांच में पाया कि 16 अप्रैल 2019 तक कुल 67 मरीजों का इलाज इस अस्पताल में किया गया था, जिसमें 40 केसेस रेफरल के आधार पर भर्ती किए गए थे। 40 मरीजों में से 18 मरीजों को प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र जसपुर से रेफर किया गया था। इन मरीजों को बाकायदा डॉक्टरों के नाम के साथ रेफर किया गया था, जिससे यह साफ होता है कि इसमें कोई बड़ी धोखाधड़ी और सांठगांठ की गई है।
इस अस्पताल में कई सारे नियमों को भी तोड़ा मरोड़ा गया है। जैसे कि 9 मरीजों को सर्जरी के इलाज के लिए इमरजेंसी में भर्ती किया गया, लेकिन उन्हें रेफरल से बचने के लिए इमरजेंसी में भर्ती दिखाया गया है, जबकि वह इमरजेंसी के मरीज नहीं थे।
इस अस्पताल द्वारा प्रस्तुत किए गए 67 केसेस में पैथोलॉजी रिपोर्ट पर किसी भी डॉक्टर के हस्ताक्षर नहीं किए गए हैं तथा समस्त पैथोलॉजी जांच चिकित्सालय द्वारा इनहाउस करवाई गई है, जिससे पैथोलॉजी जांचों का फर्जी होना भी प्रतीत होता है।
आयुष्मान योजना के मुख्य कार्यकारी अधिकारी युगल किशोर पंत ने इस अस्पताल को कारण बताओ नोटिस जारी किया है तथा पूछा है कि क्यों न इस अस्पताल के द्वारा क्लेम की गई 64,500 की धनराशि तथा लंबित क्लेम लगभग 4,17000 के लंबित क्लेम को निरस्त कर दिया जाए।
इसके अलावा इस अस्पताल से यह भी पूछा गया है कि क्यों ना अनुबंध के प्रावधान के अनुसार उनसे 5 गुने के बराबर धनराशि को अर्थदंड के रूप में वसूल किया जाए !
मेट्रो अस्पताल को 15 दिन का समय जवाब देने के लिए दिया गया है। आज के इन फैसलों से अटल आयुष्मान योजना में घालमेल कर रहे अस्पतालों में हड़कंप मचा हुआ है।