उत्तराखंड की भाजपा संगठन महामंत्री की कुर्सी खाने वाली यवती ने आज पहली बार देहरादून की एसएसपी को मेल भेज कर भाजपा संगठन महामंत्री रहे संजय कुमार के खिलाफ एफ आई आर दर्ज करने की गुहार लगाई है। अब संजय कुमार की मुश्किलें बढ़ सकती है।
इसके साथ-साथ देहरादून में महानगर अध्यक्ष विनय गोयल तथा युवती का मोबाइल गायब करने और उनके मामले को दबाने के आरोप में एक पूर्व महिला राज्य मंत्री, एक भाजपा नेत्री तथा उससे लड़ाई झगड़ा करने वाली एक नेपाली मूल की भाजपा कार्यकत्री के साथ साथ प्रदेश भाजपा के अन्य नेताओं पर भी आंच आ सकती है।
गौरतलब है कि खुद को यौन उत्पीड़न की शिकार बताने वाली युवती काफी लंबे समय से संजय कुमार के खिलाफ कार्यवाही करने के लिए भाजपा के बड़े नेताओं के साथ साथ विपक्षी पार्टी कांग्रेस के भी चक्कर काट रही थी।
युवती ने संजय कुमार के खिलाफ एफ आई आर लिखाने का अनुरोध ईमेल के द्वारा किया है। जबकि ई-मेल द्वारा एफ आई आर दर्ज नहीं की जाती।
एक अहम सवाल यह भी है कि आखिर महिला ने जहां पर वह वर्तमान में स्थित है, वहीं से जीरो एफआइआर क्यों नहीं लिखाई !
क्या इसका कोई और कारण है या फिर वाकई इस युवती को जीरो एफ आई आर के बारे में कुछ पता नहीं है।
दूसरा सवाल यह है कि वर्तमान में एफ आई आर दर्ज कराने के लिए उत्तराखंड पुलिस ने “उत्तराखंड पुलिस एप” के नाम से एक ऑनलाइन एप्लीकेशन संचालित की हुई है। इस पर जाकर के कोई भी पीड़ित पक्ष अपनी शिकायत तथा उससे संबंधित दस्तावेज दर्ज कर सकता है।
पुलिस शिकायत के आधार पर जांच करके पीड़ित की एफ आई आर दर्ज करती है, किंतु युवती ने यह दोनों तरीके नहीं अपनाए।
तीसरा सवाल यह है कि अपने साथ यौन उत्पीड़न के खिलाफ न्याय पाने के लिए महिला पिछले 6 महीनों से भाजपा तथा कांग्रेस के नेताओं के चक्कर क्यों काट रही है ! आखिर वह तभी पुलिस के पास क्यों नहीं चली गई ! एफआइआर लिखना एक अलग बात है लेकिन एक तहरीर तो दी ही जा सकती थी, जो कि आज तक भी नहीं दी गई है।
युवती को इतना ज्ञान नहीं है, अथवा किसी ने उसे उसकी सलाह नहीं दी या फिर युवती जानबूझकर यह रास्ता अख्तियार नहीं करना चाहती थी !
युवती की ऑडियो रिकॉर्डिंग तथा अब तक के प्रदर्शन से यह प्रतीत होता है कि इसे वह आपसी समझौते से ही हल करना चाहती थी। किंतु कहीं ना कहीं बात नहीं बन पाई।
यौन उत्पीड़न के खिलाफ एक गरिमा पूर्ण वांछित कार्यवाही युवती की ओर से अभी तक भी प्रतीक्षित है। पर्वतजन संवाददाता ने जब युवती की ओर से ऐसी किसी मेल के विषय में कंफर्म करने के लिए देहरादून की एसएसपी से बातचीत की तो एसएसपी देहरादून निवेदिता कुकरेती का कहना था कि उन्हें ऐसी किसी मेल का कोई संज्ञान नहीं है। बकौल एसएसपी,-” यदि ऐसी कोई मेल उनके संज्ञान में आती है तो फिर वह इस पर विधिवत कार्यवाही करेगी।”
हालांकि पुलिस के सूत्रों ने यह भी स्पष्ट कर दिया कि इस तरह की मेल पर तुरंत एफ आई आर दर्ज नहीं की जा सकती। इसके लिए बाध्यता यह है कि एफ आई आर पर पीड़ित पक्ष के हस्ताक्षर होने जरूरी हैं जबकि मेल पर हस्ताक्षर नहीं होते।
इस घटनाक्रम के मीडिया में चर्चित होने के बाद से युवती का फोन नंबर बंद चल रहा है तथा उनका सोशल मीडिया अकाउंट तथा व्हाट्सएप अकाउंट भी डीएक्टिवेट किया हुआ है, जिससे पर्वतजन उनका पक्ष नहीं ले पाया। उनका पक्ष आते ही उसे भी प्रकाशित कर दिया जाएगा। वहीं निवर्तमान संगठन महामंत्री संजय कुमार से भी संपर्क नहीं हो पाया।
पर्वतजन के हाथ कुछ ऐसे अपुष्ट सूत्र भी लगे हैं जिससे यह पता चलता है कि सरकार में शामिल भाजपा के ही कुछ लोग संजय कुमार को पसंद नहीं करते हैं। सरकार और संगठन के बीच लंबे समय से तनातनी चली आ रही है।
यही कारण है कि जहां पहले संघ के बड़े लीडर इस मामले को अंदर ही अंदर सुलझा लेने का प्रयास कर रहे थे, वहीं कुछ लोग इस बात के लिए प्रयासरत थे कि इस मामले में किसी तरह से पुलिस प्रशासन इन्वॉल्व हो जाए तो फिर संघ को दबाव में लिया जा सकता है। यदि वाकई में इसमें कुछ सच्चाई है तो आने वाली समय मे संघ और सरकार के बीच नई टकराहट सतह पर पर देखने को मिल सकती है।