देहरादून में मेयर पद के लिए भाजपा के अधिकृत प्रत्याशी के नामांकन जुलूस में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट एक ऐसे बाइक सवार के पीछे बैठ कर गए जो बिना हेलमेट बाइक चला रहा था।
कानून व्यवस्था के लिए चुनौती यह है कि उसके पीछे बैठे अजय भट्ट भी बिना हेलमेट के थे, जबकि सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन के अनुसार बाइक सवार और पीछे बैठी सवारी दोनों के लिए डबल हेलमेट अनिवार्य है।देहरादून में सीपीयू पुलिस पीछे बैठी सवारी के हेलमेट न होने पर भी धड़ल्ले से चालान कर देती है।
सवाल यह है कि भाजपा प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट नामांकन जुलूस में बिना हेलमेट के जाकर कौन सी नजीर पेश करना चाहते थे ! और इस दौरान चप्पे-चप्पे पर तैनात पुलिस ने उनको नजरअंदाज करके कौन सी नजीर पेश की है !
लोग भाजपा सरकार और देहरादून पुलिस से पूछ रहे हैं हेलमेट न पहनने पर चालान-जुर्माना की व्यवस्था क्या केवल आम जनता के लिए बनाई गई है!!
इस संबंध में मीडिया ने जब वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक निवेदिता कुकरेती का पक्ष जानना चाहा तो उन्होंने पुलिस का बचाव करते हुए कहा कि नामांकन जुलूस के दौरान बिना हेलमेट चालान करने पर ट्रैफिक जाम होने की समस्या पैदा हो सकती थी, इसलिए इस दौरान इन चीजों को नजरअंदाज कर दिया जाता है।
आम जनता यह बात भली-भांति जानती है कि चालान करने वाली सीपीयू ऐन चौराहे पर ही खड़ी रहती है और जब वे बिना हेलमेट चालान करने के लिए गाड़ियां रुकवाते हैं तो तब भी चौराहों पर जाम लग जाता है, किंतु तब जाम लगने वाली समस्या सीपीयू को ध्यान नहीं रहती।
जाहिर है कि उत्तराखंड पुलिस भी सत्ताधारी पार्टी और उनके कार्यकर्ताओं तथा नेताओं के कारण दबाव में रहती है। यही कारण है कि बिना हेलमेट चालान करने वाली पुलिस ऐसे मौकों पर तमाशबीन बनकर खड़ी रहती है। ठीक ही कहा गया है कि समरथ को नहिं दोष गुसाईं।