सच्चिदानंद सेमवाल
आज ही के दिन 1925 में नैनीताल जन्में, पूर्व राज्यपाल और उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी का आज जन्मदिन के मौके पर ही निधन हो गया है। वह काफी समय से बीमार चल रहे थे। लंबी बीमारी के बाद 93 साल की उम्र में एनडी तिवारी का निधन हो गया है। उन्होंने दिल्ली साकेत स्थित मैक्स अस्पताल में अंतिम सांस ली। हाल ही में उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था।
एनडी तिवारी उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री रह चुके हैं। बतौर यूपी मुख्यमंत्री उन्होंने 1976-77, 1984-85 और 1988-89 तक तीन बार गद्दी संभाली। इसके बाद 2002 से 2007 तक उन्होंने उत्तराखंड के मुख्यमंत्री के तौर पर पांच साल का कार्यकाल पूरा किया। एनडी तिवारी केंद्र में भी मंत्री रहे हैं। 1986-87 तक वह राजीव गांधी कैबिनेट में विदेश मंत्री रहे। साथ ही 2007 से 2009 तक वह आंध्र प्रदेश के राज्यपाल भी रहे।
तिवारी अकेले नेता हैं जो दो राज्यों के मुख्यमंत्री रहे हैं। उत्तर प्रदेश के तीन-तीन बार मुख्यमंत्री रहे। उत्तराखंड के पहले विधानसभा चुनाव में जीत हासिल करने के बाद कांग्रेस ने तिवारी को मुख्यमंत्री बनाया।
भारतीय राजनीति में एक दौर की राजनीति के धुरंधर रहे तिवारी, 2017 आते-आते असहाय हो गए थे। 2007 के उत्तराखंड चुनाव में कांग्रेस की हार, उनके राजनीतिक करियर का पटाक्षेप भी था। हालांकि इसकी औपचारिकता एक तरह से 2009 में पूरी हुई।
इलाहाबाद छात्र संघ के पहले अध्यक्ष से लेकर केंद्र में योजना आयोग के उपाध्यक्ष से लेकर, उद्योग, वाणिज्य पेट्रोलियम, और वित्त मंत्री के रूप में तिवारी ने काम किया। साल 2007 में उत्तराखंड विधानसभा चुनाव में कांग्रेस हारी तो तिवारी का पुनर्वास आंध्रप्रदेश के राज्यपाल के रूप में कर दिया गया था। एनडी तिवारी देश के उन चुनिंदा नेताओं में रहे, जिन्हें लगभग सभी राजनीतिक दलों में सम्मान मिलता रहा।
उनके बेटे शेखर तिवारी ने बताया कि उनकी किडनी फेल हो चुकी थी। इसके अलावा उनके पेट में संक्रमण की भी शिकायत थी।
श्री तिवारी के निधन से उत्तराखंड समेत देशभर में शोक की लहर दौड़ गई है। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री ने उनके निधन पर गहरा दुख जताया है और शोक संतप्त परिवार को दुख की इस घड़ी में धैर्य प्रदान करने की ईश्वर से प्रार्थना की है। इसके अलावा तमाम नेताओं सामाजिक कार्यकर्ताओं विद्वत जन एवं आम जनता ने श्री तिवारी के निधन को उत्तराखंड के लिए अपूरणीय क्षति बताया है।