पुरोला के विधायक मालचन्द ने अधिकांश विधायक निधि को विकास कार्यों में खर्च करने के बजाय नियम कायदों के विपरीत जाकर धार्मिक कार्यों और मंदिरों में खर्च कर दिया
प्रेम पंचोली
उत्तरकाशी जिले की आरक्षित सीट विधानसभा पुरोला के विधायक मालचन्द ने अपनी विधायक निधि को विकास के लिए नहीं, देवताओं के मंदिर और देवताओं के ही चांदी के छत्र और चांदी के ढोल बनवाने के लिए खर्च कर दी है। हकीकत यह है कि गांव-गांव में जो मंदिर हैं, वे सभी सामुदायिक स्तर पर पूर्व से ही निर्मित हैं। यही नहीं गांव-गांव में जो देवडोलियां हैं, उनके ऊपर जो चांदी के छत्र हैं, वह भी सामुहिक रूप से ग्रामीणों द्वारा एकत्रित किए गए धन पूर्व से ही मौजूद हैं। इसलिए कि लोग अपनी इच्छा अनुसार मंदिरों में दान इत्यादि के लिए नकदी और चांदी भेंट करते आए हैं। इस तरह इकट्ठे हुए धन और कीमती आभूषणों से देवताओं के मंदिर और चांदी के छत्र लोग बनवाते आए हैं। जब मंदिरों का निर्माण पूर्वकाल से हो चुका है, देवडोलियों के ऊपर चांदी का छत्र पूर्वकाल से है तो विधायक निधि से भेंट किया गया छत्र और मंदिरों पर खर्च की गई धनराशि पर सवाल उठना लाजिमी है।
विधायक निधि की नजाकत बयां कर रही है कि धार्मिक अनुष्ठानों से विकास की इबारत लिखी जा सकती है। ऐसा विधायक मालचन्द अपनी विधायक निधि खर्च करके जता रहे हैं।
मालचन्द पुरोला विधानसभा में लोगों को न कि सिर्फ बेवकूफ बना रहे हैं, बल्कि उनके हिस्से के लिए निर्धारित विकास का बजट भी ठिकाने लगा रहा है। अभी हाल ही में चुनाव नजदीक आते ही मालचन्द ने एक लंबी लिस्ट जारी की। जिसमें बताया गया कि मालचन्द की विधायक निधि विकास के लिए नहीं, झामण के लिए खर्च की गई है। यही नहीं वे इस सूची में यह भी बताने की कोशिश करते हैं कि फलां-फलां गांव में मंदिर निर्माण के लिए विधायक मालचन्द ने आर्थिक सहयोग प्रदान किया है। इतनाभर नहीं, इस देवभूमि में जो लोकोत्सव यानि देवताओं के नाम पर आयोजन होते हैं, उनकी यात्राओं में भी तीन-तीन दिन तक दिन-रात भोज की व्यवस्था मालचन्द ने अपनी विधायक निधि से की है। सवाल यह है कि क्या विधायक निधि देवता के झामण (झामण का तात्पर्य देवडोली के ऊपर बनाया जाने वाला चांदी का छत्र) के लिए ही है? या देवयात्रा, रात्रिभोज, मंदिर निर्माण वगैरह।
विधायक मालचन्द के साथियों ने जो सूची जारी की है, उसमें बताया गया कि राजा रघुनाथ देवता को ६ किलो का चांदी का छत्र दिया तो साथ में सोने का भी एक छोटा सा छत्र भेंट किया। इसकी कीमत इस सूची में जारी नहीं की गई, परंतु एक अनुमान के मुताबिक यह अकेला छत्र लगभग तीन लाख रुपए का बताया जा रहा है। इसी तरह पुजेली गांव में राजा रघुनाथ मंदिर के लिए ४ लाख रुपए की धनराशि दी गई तो भद्रकाली की डोली पर भी 5 किलो की चांदी का छत्र और पौंटी गांव से गंगोत्री देवडोली की यात्रा करवाई गई। जिसमें बताया जाता है कि लगभग 3 हजार लोग शामिल हुए। इस यात्रा का खर्च भी विधायक मालचन्द ने ही उठाया। इसी गांव में मंदिर निर्माण के लिए आर्थिक सहायता दी गई।
यही नहीं पौंटी गांव के बगल में मोल्डा गांव में निर्माणाधीन भद्रकाली मंदिर के लिए भी मालचन्द ने आर्थिक सहायता दी। विधायक मालचन्द द्वारा अपनी विधायक निधि से मंदिर निर्माण और देवडोलियों के छत्र वितरण में किए गए बजट को यदि देखा जाए तो पिछले पांच सालों में करोड़ों का हो सकता है, मगर सिर्फ नौगांव विकासखंड की ही सूची बता दें कि इसी तरह कोटियाल गांव में मदेश्वर देवता को भी चांदी के छत्र के बाहर बांधने वाली चांदी की ही एक पेटी भेंट की है तो वहीं ६५ गांवों के आराध्य देव लुद्रश्ेवर देवता की डोली के ऊपर लगने वाले छत्र के लिए एक लाख रु. नकद धनराशि दी है। इतना ही नहीं, लुद्रेश्वर देवता के तियां गांव स्थित मंदिर निर्माण के लिए पांच लाख रुपए की धनराशि दी गई है और पिछले वर्ष इसी मंदिर में एक भव्य भंडारा भी करवाया गया, जिसमें एक साथ लगभग 10 हजार लोगों ने भोजन किया। इसी तरह तियां गांव के बगल में बजलाड़ी गांव में लुद्रेश्वर देवता के नाम से विधायक मालचन्द ने भव्य भंडारे का आयोजन करवाया।
उल्लेखनीय है कि देवताओं के नाम पर निधि को इस तरह खर्च करने का सिलसिला थमा नहीं और दारसौं गांव में स्थित धयेश्वर देवता के मंदिर निर्माण के लिए ७ लाख रुपए की धनराशि दी गई तो इसी धयेश्वर देवता के नाम से क्रमश: ठोलिंका और हिमरोल गांव में निर्माणाधीन मंदिरों के सौंदर्यीकरण के लिए भी आर्थिक सहयोग दिया गया है। उधर कफनौल गांव में भी बौखनाग देवता के मंदिर निर्माण के लिए भी आर्थिक सहयोग दिया गया। साढ़े 4 किलो का चांदी का छत्र भी विधायक मालचन्द ने भेंट किया है।
इनकी विधायक निधि के खर्च करने का सिलसिला यहीं नहीं रुकता। बता दें कि यमुनाघाटी के लोग सेम मुखेम की यात्रा में हर तीसरे वर्ष जाते हैं। जिनके पड़ाव क्रमश: राड़ीटॉप, ब्रह्मखाल, डुंडा, धनारी होते हुए कई जगह बनते हैं। मंगसीर माह की 11 गते यानि २५-२६ नवंबर के दौरान सेम मुखेम की यात्रा में राड़ीटॉप पर लाखों की संख्या में लोग पहुंचते हैं। इन्हीं दिनों विधायक मालचन्द ने तीन दिन तक ेभंडारे का आयोजन किया है। जिसका खर्च भी विधायक निधि से बताया जाता है। यह क्रम पिछले पांच सालों से लगातार विधायक मालचन्द कर रहे हैं। यदि इस भंडारे के खर्च का अवलोकन किया जाए तो विधायक निधि का आधा हिस्सा इस भंडारे पर ही खर्च किया जा रहा है।
उधर विधायक मालचन्द का कहना है कि वह तो अनुसूचित जाति का आदमी है और देवताओं की सेवा करना तथा जाति के बंधन में रहना उनके रग-रग में बसा है, क्योंकि यह उनका पुश्तैनी धर्म है। यही वजह है कि राड़ीटॉप में निर्मित बौखनाग मंदिर पर विधायक मालचन्द ने ९ लाख रुपए सौंदर्यीकरण के नाम पर अतिरिक्त खर्च कर दिए, जबकि इस मंदिर की हालत इतनी नाजुक है कि विधायक मालचन्द के ९ लाख रुपए का गोलमाल स्पष्ट दिखाई देता है। मंदिरों और देवडोलियों पर चढ़ाए गए कई किलो चांदी के छत्र के बजट बता रहे हैं कि विधायक निधि का बजट किस बेरहमी से ठिकाने लगाया गया है। क्योंकि देवडोलियों के पास पूर्व से ही चांदी के छत्र मौजूद हैं। गांव-गांव में निर्माणाधीन मंदिर भी लोकसहभागिता से बनाए जा रहे हैं। यदि किसी गांव में मंदिर निर्माण नहीं किया जा रहा है तो लोग मनरेगा और अन्य सार्वजनिक कामों का श्रमदान करके मंदिरों का निर्माण व सौंदर्यीकरण करते हैं।
२७ गांव गोडर पट्टी के पूजनीय छलेश्वर देवता के छत्र के लिए भी विधायक मालचन्द ने डेढ़ लाख रुपए की नकद धनराशि दी है तो रस्टाड़ी और कण्डाऊं गांव में लुद्रेश्वर देवता के मंदिर निर्माण के लिए आर्थिक सहायता दी गई है। इसी नौगांव विकासखंड के अंतर्गत ईड़क गांव में मंदिर निर्माण के लिए ढाई लाख रुपए की नकद धनराशि मालचन्द ने भेंट की है तो नथेड़ और सिसाला मंदिर के लिए भी आर्थिक सहायता दी है। यही नहीं इन्हीं गांवों के ग्राम देवता के चांदी के छत्र के ऊपर एक और सोने का छत्र बनाया गया, जिसके लिए 10 तोला सोना विधायक मालचन्द ने भेंट किया। इसके अलावा नगदाड़ा गांव, गैर गांव, मणपा गांव, भसूना गांव, मानडग़ांव, सेतवाड़ी गांव, खमुण्डी गांव, भाटिया गांव, ठकराल गांव में मंदिर निर्माण में आर्थिक सहयोग, जबकि कंडारी गांव में राजा रघुनाथ मंदिर निर्माण के लिए 5 लाख की नकद धनराशि तो इसी देवता के ढोल को बनवाने के लिए 4 किलो चांदी को भी मालचन्द ने भेंट किया और धारमण्डल मंदिर का जीर्णोद्धार तथा देवडोली के लिए चांदी का छत्र और पेटिका आदि भेंट की गई।
उल्लेखनीय है कि राज्य के ७० विधानसभा क्षेत्रों में पुरोला विधानसभा अकेली ऐसी विधानसभा है, जहां ९० प्रतिशत विधायक निधि सिर्फ और सिर्फ धार्मिक कार्यों पर खर्च की जाती है। यदि इसकी सूचना जिले के विकास विभाग से मांगी जाए तो कुल विधायक निधि का ९० फीसदी हिस्सा विधायक मालचन्द ने धार्मिक कार्यों में खर्च किया है। ताज्जुब तो तब होती है, जब इस क्षेत्र के एक भी जनप्रतिनिधि व सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इस तरह निधि को खर्च करने बाबत कोई आवाज नहीं उठाई। इसका मतलब यह हुआ कि मौजूदा जनप्रतिनिधि भी विकास से इत्तेफाक नहीं रखते और विधायक मालचन्द है जो संविधान की खुलकर धज्जियां उड़े रहे हैं कि जिस निधि को उन्होंने विकास के लिए खर्च करना था, उसे वह अपनी मनमानी से धार्मिक अनुष्ठानों में खर्च कर रहा है।
विधायक मालचन्द ने राजा रघुनाथ देवता को ६ किलो का चांदी का छत्र दिया तो साथ में सोने का भी एक छोटा सा छत्र भी भेंट किया। इसकी कीमत लगभग तीन लाख रुपए का बतायी जा रही है।
राज्य के ७० विधानसभा क्षेत्रों में पुरोला विधानसभा अकेली ऐसी विधानसभा है, जहां ९० प्रतिशत विधायक निधि सिर्फ और सिर्फ धार्मिक कार्यों पर खर्च की जाती है।
”लोगों की देवताओं के प्रति जो आस्था है, वह मेरी भी है, लेकिन विकास का पैसा विकास पर ही खर्च होना चाहिए।
– राजकुमार
पूर्व विधायक
”यदि जनता चाहेगी तो हम इस तरह की बंदरबांट की जांच कराके गुनहगार को सजा दिलवा सकते हैं
– राजेश जुवांठा
पूर्व विधायक
”आज तक पुरोला विधानसभा के विकास का रोडमैप तय नहीं हो पाया है।
– किशन लाल
भाजपा नेता