इसलिए की प्रधानमंत्री ने ड्रोन से केदारनाथ की मॉनिटरिंग
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज केदारनाथ में हो रहे निर्माण कार्यो की मॉनिटरिंग ड्रोन कैमरे और वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से दिल्ली स्थित अपने कार्यालय में ही की।
सवाल उठता है कि आखिर प्रधानमंत्री को केदारनाथ में हो रहे निर्माण कार्यों की मॉनिटरिंग खुद करने की नौबत क्यों आई ! जबकि इस बार हो रहे निर्माण कार्य कुछ इतनी अधिक संवेदनशील अथवा विस्तृत प्रकृति के भी नहीं हैं। इन निर्माण कार्यों में सिर्फ नदी के तट बंधों की बाढ़ सुरक्षा कार्यक्रम और गौरीकुंड सड़क मार्ग के चौड़ीकरण का ही कार्य है। फिर ऐसा क्या हुआ कि प्रधानमंत्री को इन निर्माण कार्यों की मॉनिटरिंग करने की खुद ही नौबत आन पड़ी।
पर्वतजन के सूत्रों के अनुसार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पिछली बार जब केदारनाथ आए थे तो उन्होंने केदारनाथ के पुनर्निर्माण का बीड़ा उठाते हुए कहा था कि वह आगामी लोकसभा चुनाव की घोषणा केदारनाथ से ही करेंगे।
संभवत: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने केदारनाथ पुनर्निर्माण के कार्यों को लेकर जो सपना देखा था, वह उत्तराखंड सरकार की धीमी गति के कारण उन्हें समय पर पूरा होता नजर नहीं आया। पर्वतजन के सूत्रों के अनुसार जब पिछली बार नरेंद्र मोदी केदारनाथ आए थे तो वहां निर्माण की धीमी गति के कारण उनका मूड काफी खराब हो गया था। और उन्होंने जौलीग्रांट एयरपोर्ट पर ही सुबे के आला अधिकारियों की बैठक लेकर उनको कड़े दिशा-निर्देश दे दिए थे।
इस बीच प्रधानमंत्री कार्यालय को यह फीडबैक गया है कि जिस गति से केदारनाथ में कार्य हो रहे हैं, उससे न सिर्फ कार्य पूरा होने में देरी होगी बल्कि देशभर में भाजपा की साख भी खराब होने की आशंका है। इसको समय रहते संभालने के लिए ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग और ड्रोन कैमरों की मदद से केदारनाथ के पुनर्निर्माण कार्यों का लाइव जायजा लेने का निश्चय किया।
इससे पहले प्रधानमंत्री ने निर्माण कार्यों की सारी जिम्मेदारी विभागों के सचिवों पर न डाल कर सीधे मुख्य सचिव के कंधों पर डाल दी थी। मुख्य सचिव उत्पल कुमार ने मामले की गंभीरता को समझते हुए कई बार केदारनाथ का दौरा किया और हालत को प्रधानमंत्री को दिखाने लायक स्तर पर ले आए।
सवाल उठ रहा है कि अगर केदारनाथ में तटबंधों की मरम्मत और सुधारीकरण का कार्य भी सीधे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की निगरानी में ही होना है तो राज्य सरकार आखिर कर क्या रही है!
मुख्य सचिव ने दी प्रधानमंत्री को महत्वपूर्ण जानकारी
बुधवार को सचिवालय में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को प्रगति(प्रो एक्टिव गवर्नेंस एंड टाइमली इम्पलीमेंटेशन) की वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के दौरान मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह ने केदारनाथ पुनर्निर्माण के प्रगति की जानकारी दी।
श्री केदारनाथ पुनर्निर्माण कार्यों की प्रगति की जानकारी लेते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश के सभी मुख्य सचिवों, भारत सरकार के सचिवों के सामने मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह की सराहना कर उत्तराखण्ड का मान बढ़ाया है। प्रधानमंत्री ने केदारनाथ में तेजी से कार्य करने और नई तकनीक के जरिए ड्रोन से कार्य होते हुए लाइव दिखाने के लिए मुख्य सचिव की सराहना की। उन्होंने मुख्य सचिव और उनकी पूरी टीम को भी बधाई दी।
वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के दौरान मुख्य सचिव सिंह ने प्रधानमंत्री को अवगत कराया कि केदारनाथ मंदिर के चबूतरे का विस्तार 1500 वर्ग मीटर क्षेत्रफल से बढ़ाकर 4125 वर्ग मीटर कर दिया गया है। फर्श का आधार बन गया है, पत्थर बिछाने का कार्य चल रहा है। मंदाकिनी और सरस्वती नदियों के संगम स्थल से मंदिर तक 270 मीटर में जमा 12 फीट मालवा हटा दिया गया है। मंदिर तक 50 फीट चैड़ाई का मार्ग बनाया जा रहा है। इसके दोनों किनारों पर ड्रेन और डक्ट बनाया जाएगा। 24 भागों में बंटे इस मार्ग के 20 पैनल में सतह के कार्य पूरा हो गया है। पत्थर काटने, तराशने और बिछाने का कार्य चल रहा है। मुख्य सचिव ने सुरक्षा दीवार और घाट निर्माण के बारे में बताया कि सरस्वती नदी पर 470 मीटर लंबाई में सुरक्षा दीवार निर्माणाधीन है। 140 मीटर में खुदाई और 80 मीटर में 02 मीटर सुरक्षा दीवार बन गई है। घाट का बेस तैयार हो गया है। मौसम अनुकूल होने पर आरसीसी कार्य शुरू किया जाएगा। इसके अलावा मंदाकिनी नदी पर 380 मीटर सुरक्षा दीवार निर्माण का कार्य भी चल रहा है। न्यूनतम तापमान की वजह से आर.सी.सी. नही हो पा रहा है। मौसम अनुकूल होते ही 73 पुरोहितों के घरों का निर्माण कार्य शुरू कर दिया जाएगा।
मुख्य सचिव ने प्रधानमंत्री को बताया कि आदि शंकराचार्य कुटीर एवं संग्रहालय निर्माण का प्रारूप तैयार कर लिया गया है। गरुड़चट्टी से केदारनाथ 3.5 किलोमीटर पैदल मार्ग पुनर्निर्माण का कार्य शुरू हो गया है। 1.6 किलोमीटर का कार्य पूर्ण हो गया है। गौरीकुंड से लिंचैली होते हुए केदारनाथ मार्ग के चौड़ीकरण और सुधारीकरण का कार्य चल रहा है। केदारनाथ में हिमस्खलन और भूस्खलन से बचाव के लिए 300 मीटर में बैरियर और ड्रेनेज का निर्माण चल रहा है। अगले तीन महीने में कार्य पूरा हो जाएगा। मुख्य सचिव ने अवगत कराया कि पुनर्निर्माण के लिए केदारनाथ उत्थान चैरिटेबल ट्रस्ट बनाया गया है। इस संबंध में वेबसाइट भी बनाई गई है।
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री ने 27 अक्टूबर 2017 को केदारनाथ में 5 पुनर्निर्माण कार्यों का शिलान्यास किया था। जिन कार्यों का शिलान्यास किया गया था वे हैं श्री केदारनाथ पहुंचने के लिए मुख्य मार्गों का चौड़ीकरण, सरस्वती नदी पर बाढ़ सुरक्षा और घाट निर्माण, मंदाकिनी नदी पर सुरक्षा और घाट निर्माण, तीर्थ पुरोहितों के आवासीय भवनों का निर्माण।
एक तरफ केदार घाटी के दर्जनों पुल आपदा में बह गए तो फिर दोबारा नहीं बने। ऐसे मे सिर्फ केदारनाथ को तीर्थ यात्रियों के लिए तैयार करने का मकसद देशभर में केदारनाथ की धार्मिक छवि को भुनाना ही हो सकता है।
यदि यह कार्य भी समय पर नहीं हुआ तो केदारनाथ से ही भाजपा के लिए पूरे देश भर में एक खराब संदेश जाने का अंदेशा भी है। इसी को लेकर प्रधानमंत्री ने सीधे मुख्य सचिव को केदारनाथ में झोंका हुआ है तो दूसरी ओर खुद अपने हाथ में यह कमान ले ली है।