उत्तराखंड वन विभाग में आजकल शीर्ष स्तर के अफसरों में आपस में एक दूसरे से हिसाब चुकता करने का खेल चल रहा है।
यह देखने में आया है कि प्रमुख मुख्य वन संरक्षक जयराज और मुख्य वन्य जीव प्रतिपालक डीबीएस खाती के बिगड़ते आपसी संबंध और सामंजस्य के कारण वन विभाग में आजकल अजीब सा माहौल उत्पन्न हो गया है।
एक धड़ा प्रमुख मुख्य वन संरक्षक जयराज की घेराबंदी एक बंदर के बच्चे को लेकर कर रहा है तो प्रमुख वन संरक्षक जयराज डीवीएस खाती की घेराबंदी राजाजी पार्क के अंदर मोतीचूर रेंज में मरे एक गुलदार को लेकर कर रहे हैं।
बात दरअसल यह है कि कोई सूरी नाम का व्यक्ति श्री जयराज के पास एक 5 दिन के बंदर के बच्चे को लेकर आया था,जिसकी मां मर गई थी। बच्चे को यूं ही छोड़ दिया जाता तो लूज मोशन का शिकार यह बच्चा कुछ दिन बाद ही मर जाता। लेकिन उस दौरान कोई और व्यवस्था ना होने के कारण जयराज ने वन्य जीव प्रतिपालक से अनुमति मांगी कि जब तक यह बच्चा स्वस्थ नहीं हो जाता तब तक इसे पालने की अनुमति दी जाए, ताकि फिर इसे मालसी डियर पार्क अथवा सुरक्षित जगह छोड़ा जा सके।
वन्य जीव प्रतिपालक ने वन कानूनों का हवाला देते हुए इस अनुरोध को अस्वीकृत करते हुए इस बंदर के साथ ही पहले से ही पाले जा रहे हैं एक डेढ़ साल के अन्य बंदर को भी प्रभागीय वनाधिकारी को सौंपने को कह दिया।
वन विभाग के स्तर से मामला चर्चा में लाया गया तो पौड़ी के समाजसेवी अनिल बहुगुणा ने एक आरटीआई के माध्यम से इस बंदर को पाले जाने और इस पर हो रहे खर्च का ब्योरा तलब कर लिया। मामला बढ़ते देख अब बंदर के लिए झाझरा स्थित फॉरेस्ट गेस्ट हाउस में व्यवस्था की जा रही है। इस बात को मुद्दा बना दिया गया है कि जब बंदर को पालना अवैध है तो जयराज ने एक बंदर आखिर अपने घर पर क्यों रखा !
इसी तरह दूसरे मामले में मोतीचूर रेंज में एक गुलदार की हत्या किए जाने और खाल तथा हड्डियां जमीन में दबाए जाने की सूचना जयराज को मिली तो उन्होंने वन्यजीव प्रतिपालक का स्पष्टीकरण तलब कर लिया। इसमें यह निकल कर आया कि अगर गुलदार की खाल और हड्डियां दबाई जानी थी तो फिर गुलदार मारा ही क्यों गया !! क्योंकि गुलदार को तो हड्डी और खाल के लिए ही मारा जाता है !
तफ्तीश में सामने आया कि गुलदार की खाल तो काफी पुरानी थी लेकिन हड्डियां नई थी। इसमें किसी साजिश का अंदेशा होने पर वन्य जीव प्रतिपालक और राजाजी पार्क के डायरेक्टर सनातन ने जांच कराई तो पता चला कि इसमें कुछ गहरी साजिश है। इसी बिना पर रिपोर्ट दर्ज कराई गई और एक मछुआरे को गिरफ्तार कर लिया गया। इससे जुड़े हुए एक मछुआरे कि जब गिरफ्तारी की गई तो उसने एक डिप्टी रेंजर पर साजिश करवाने के आरोप लगा दिए। इस साजिश में मछुआरे सहित 5 सपेरे भी शामिल थे। फिलहाल सपेरे फरार हैं। जैसे ही सपेरे पकड़े जाते हैं तो गुलदार को दफनाने को लेकर कोई चौंकाने वाली कहानी भी सामने आ सकती है।
फिलहाल जहां बंदर को लेकर वन्य जीव प्रतिपालक डीबीएस खाती श्री जयराज की घेराबंदी करने में जुटे हैं, वही गुलदार की मौत को लेकर जयराज वन्यजीव प्रतिपालक खाती की घेराबंदी कर रहे हैं। देखना यह है कि यह कहानी आगे क्या मोड़ लेती है।