सिडकुल घोटाले की जांच के लिए एसआईटी टीम का गठन कर दिया गया है। निर्माण कार्यों तथा विभिन्न नियुक्तियों सहित महंगे दामों पर हुई खरीद को लेकर सिडकुल काफी लंबे समय से निशाने पर था।
एसआईटी टीम में उधम सिंह नगर के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, हरिद्वार के पुलिस अधीक्षक, विकासनगर के सीओ और नैनीताल के एसपी सहित देहरादून,हरिद्वार और उधम सिंह नगर सिडकुल क्षेत्र के तीन इंस्पेक्टरों को लेकर एसआईटी की एक टीम बनाई गई है।
हालांकि एसआईटी मात्र वर्ष 2012 से लेकर वर्ष 2017 तक के बीच हुए घोटालों की जांच करेगी। यह पूरा कार्यकाल कांग्रेस का था। इसको लेकर कांग्रेस भी सवाल उठा सकती है कि जांच करानी है तो सिडकुल के गठन से लेकर अब तक की जांच कराई जाए ! बहरहाल यह सरकार का सियासी मास्टर स्ट्रोक माना जा रहा है।
यह घोटाला एनएच 74 से भी बड़ा माना जा रहा है। सिडकुल की एमडी रही सौजन्या जावलकर ने अपने कार्यकाल में सिडकुल की जांच शुरू कराई थी।
शासन ने भी अपनी गोपनीय जांच में माना था कि सिडकुल में व्यापक स्तर पर गड़बड़ियां हुई थी सिडकुल में हुई भर्तियों में मंत्रियों और अन्य नेताओं के परिजनों की नियुक्तियों सहित राजकीय निर्माण निगम को मनमाने दामों पर निर्माण कार्य के ठेके दिए गए थे।
ट्राई के नए औद्योगिक आस्थानों में निर्माण कार्यों के नाम पर करोड़ों का घोटाला भी सामने आया था। इसमें तमाम प्रोक्योरमेंट पॉलिसी सहित अन्य मानकों का जमकर उल्लंघन किया गया था।
यह टीम आईजी गढ़वाल की देखरेख में कार्य करेगी। सरकार का उद्देश्य पूरे उत्तराखंड में सिडकुल द्वारा किए गए कार्यों की जांच कराना है।
एसआईटी टीम के गठन के बाद से अफसरों में और कांग्रेस के नेताओं में हड़कंप मचा हुआ है। एसआईटी की जांच के दायरे में भाजपा के कैबिनेट मंत्री भी हैं जो पहले कांग्रेस में भी मंत्री हुआ करते थे।
उत्तराखंड सरकार इस जांच के माध्यम से एक तीर से दो निशाने साध रही है। एक ओर सरकार का उद्देश्य जीरो टॉलरेंस की नीति पर लोगों का भरोसा फिर से कायम करना है तो वहीं सरकार लोकसभा चुनाव तक कांग्रेस तथा अपनी सरकार के कुछ तीखे तेवर वाले नेताओं को उलझा कर रखना चाहती है।