कमल जगाती, नैनीताल
उत्तराखण्ड उच्च न्यायालय ने आज बागेश्वर के कुंवारी की गर्भवती महिला को स्ट्रैचर में 3 दिन तक पैदल ले जाने की घटना का संज्ञान लेते हुए राज्य सरकार से प्रदेश की सभी सड़कों को महत्वपूर्ण मानने को कहा है। न्यायालय ने केंद्र सरकार से ‘आल वैदर रोड’ बनाने के लिए मिली पर्यावरण अनापत्ति कोर्ट में दिखाने को
भी कहा है ।
हिमाद्रि जनकल्याण संस्थान की सन 2015 में दायर जनहित याचिका को सुनते हुए वरिष्ठ न्यायाधीश राजीव शर्मा और न्यायमूर्ति लोकपाल सिंह की खंडपीठ ने राज्य की ग्रामीण सड़कों की स्थिति पर चिंता जताते हुए कहा कि सभी सड़कें बराबर की महत्वपूर्ण हैं।
न्यायमूर्ति राजीव शर्मा ने कुंवारी गांव की 26 वर्षीय गर्भवती अमिता को तीन दिन पालकी पर ले जाने का हवाला देते हुए पहाड़ का दर्द जताया। न्यायमूर्ति लोकपाल सिंह ने ‘आल वैदर रोड’ पर बोलते हुए कहा है कि उन्होंने खुद देखा है कि किस तरह से सड़क का निर्माण हो रहा है और मलबे का निस्तारण नदी में हो रहा है !
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता डा.कार्तिकेय हरिगुप्ता ने बताया कि न्यायालय ने केन्द्र के महत्वपूर्ण आल वैदर रोड के प्रोजेक्ट को दोबारा शुरू करने के आग्रह पर पर्यावरण मंत्रालय की अनापत्ति दस दिन में कोर्ट में पेश करने को कहा है। उन्होंने बताया कि मुख्य सचिव ने भी एक एफिडेविट देकर राष्ट्रीय राजमार्ग विभाग को दिए निर्देशों के बारे में न्यायालय को बताया है।
एफिडेविट में ये भी कहा गया है कि लोक निर्माण विभाग को कड़ाई से कहा गया है कि वह सुनिश्चित करें कि मलबा नदी के 500 मीटर के दायरे में नहीं डाला जा रहा है।