कमल जगाती, नैनीताल
उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने पौराणिक महत्व के जागेश्वर मंदिर के संरक्षण में आ रही गिरावट का स्वतः संज्ञान लेते हुए इसे जनहित याचिका के रूप में लिया था, जिसमें आज न्यायालय ने आर्किलौजिकल सर्वे ऑफ़ इंडिया का जवाब आने के बाद एक वर्ष में मंदिर के जीर्णोद्धार का आदेश दिया है।
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कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश राजीव शर्मा और न्यायमूर्ति शरद कुमार शर्मा की खंडपीठ ने आज जागेश्वर मंदिर की दुर्दशा पर एक जनहित याचिका में निर्देश देते हुए उसे निस्तारित कर दिया है।
न्यायालय ने पूर्व में मंदिर के संरक्षण को लेकर आर्किलौजिकल सर्वे ऑफ़ इंडिया द्वारा किये जा रहे कार्यों को न्यायलय ने सामने रखने को कहा था। विभाग ने अपने दस पॉइंट में
(1) मंदिर की दोनों भोगशालाओं की जीर्णोद्धार/मरम्मत
(2) मंदिर के आसपास छोटे मंदिरों की अच्छी तरह से मरम्मत
(3) जागनाथ, मृत्युंजय और भोगशाला के द्वारों/दरवाजों को बदलना
(4) ईमारत में चमकदार विद्युतीकरण
(5) मंदिर के आसपास बंद पड़ी नालियां को खोलने का काम
(6) जटा गंगा नदी की रिटेनिंग दिवार का निर्माण
(7) कुबेर के मंदिर और शौचालय को जाने वाले रस्ते का चौड़ीकरण
(8) मंदिर परिसर में टूटे फर्स की टाइलों को नया लगाकर ठीक करना
(9) क्रिया घर की नई ईमारत की टूटी उलटी छत में रंगीन प्लास्टिक लगाया जाएगा और
(10) भक्तों और यात्रियों की सुरक्षा के लिए दिवार पर पाइप रेलिंग लगाने की बात भी विभाग द्वारा कही गई है।