कमल जगाती, नैनीताल
उच्च न्यायालय नैनीताल ने कोटद्वार बार एसोसिएशन की हड़ताल और प्रस्ताव को खत्म करने और हत्यारोपियों की पैरवी करने के लिए अधिवक्ताओं को कसाब और अपनी हत्या के बाद पैरवी करने का उदाहरण दिया।
याचिकाकार्ता के अधिवक्ता कार्तिकेय हरि गुप्ता ने बताया कि कोटद्वार जिला न्यायालय के अधिवक्ता सुशील रघुवंसी की चार गोली मारकर वर्ष 2017 में हत्या कर दी गई थी। पहले अज्ञात के खिलाफ और फिर डाइंग डिक्लेरेशन(मृत्यु से पहले बयान)में नाम बताए जाने के बाद पत्नी रेखा रघुवंशी ने चार लोगों के खिलाफ नामजद मुकदमा दर्ज करवाया था। एक वर्ष तक गिरफ्तारी नहीं होने पर रेखा ने उच्च न्यायालय की शरण ली थी, जिस पर न्यायालय ने टीम गठित कर आरोपियों की गिरफ्तारी करने को कहा था। गिरफ्तारी के बाद आरोपियों की बेल के लिए कोटद्वार के दो अधिवक्ता आगे आए थे, जिनका वहां की बार एसोसिएशन ने ना केवल विरोध किया बल्कि बार की 16 मई 2019 की बैठक में प्रस्ताव(रेसोल्यूशन)लाकर किसी भी अधिवक्ता के पैरवी करने पर रोक लगा दी थी।
अधिवक्ता कुलदीप अग्रवाल ने जनहित याचिका दायर कर राज्य सरकार के साथ उत्तराखण्ड और बार काउंसिल ऑफ इंडिया को पार्टी बनाया है। मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन और न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने आज मामले में सुनवाई करते हुए कहा कि अगर कोई हमें गोली मार देता है तो भी आप अधिवक्ता लोग आरोपी की पैरवी करने से इनकार नहीं कर सकते, जैसे खूंखार आतंकवादी कसाब की भी पैरवी की गई थी। खण्डपीठ ने उत्तराखंड बार काउंसिल और कोटद्वार जिला बार एसोसिएशन को अर्जेंट नोटिस जारी किये हैं। न्यायालय ने बार काउंसिल ऑफ उत्तराखण्ड और बार काउंसिल ऑफ इंडिया को मामले में तत्काल जवाब देने को कहा है।
न्यायालय ने कोटद्वार बार एसोसिएशन के इस प्रस्ताव पर घोर नाराजगी जताते हुए कहा कि ये स्वीकार योग्य नहीं है। न्यायालय ने ये भी कहा कि इस तरह के प्रस्ताव से याची के मन में अपराध पनपेगा जो अस्वीकार्य है। अधिवक्ताओं की याचिकाकर्ताओं के प्रति बहुत जिम्मेदारियां हैं। बार काउंसिल की तरफ से अधिवक्ता रोहित गर्ग ने बताया कि आज न्यायालय ने उन्हें हड़ताल और प्रस्ताव वापस लेने के लिए पहल करने को कहा है।