जगदम्बा कोठारी
रुद्रप्रयाग //लोक निजी सहायता (पी0पी0पी0मोड) मे संचालित सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र जखोली खुद बीमार चल रहा है. 10 अप्रैल 2014 को तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने अस्पताल का संचालन बरेली के शील नर्सिंग ग्रुप को दिया.
वर्तमान मे अस्पताल मे सात विशेषज्ञ चिकित्सक व 45 पैरामैडिकल स्टाफ समेत कुल 52 कर्मचारी हैं.
सुविधा के नाम पर अस्पताल मे न तो 108 सेवा है न खुशियों की सवारी. जिस कारण गम्भीर घायल व मरीजों को गाडी बुक करके जखोली आना पड़ता है.
फरवरी 2015 मे स्वास्थ्य विभाग ने अल्ट्रासाउंड मशीन अस्पताल को दी.मगर ढाई वर्ष का समय हो जाने के बाद भी मशीन की सील तक नही खुली. जबकि भारी भरकम वेतन पर रेडियोलाजिस्ट की तैनाती शील ग्रुप द्वारा की गयी है. लाखों की लागत से खरीदी यह मशीन शोपीस बनकर रह गयी है. आपरेशन थियेटर की दीवारों पर सीलन पडी है जिस कारण अस्पताल मे कोई आपरेशन सम्भव नही है जिस कारण मरीज को अतिरिक्त व्यय कर जिला चिकित्सालय दौडऩा पडता है, एक्सरे मशीन को पालीथीन से ढककर रखा जाता है क्योंकि बरसात होने पर छत से पानी टपकता है.. जिसलिए मशीनों को त्रिपाल से ढक कर रखा जाता है जबकि दो वर्ष पहले 42 लाख की लागत से सिर्फ मरम्मत का कार्य व सफेदी करायी गयी.. मरम्मत कार्य मे लाखों का घोटाला कर चुकी बरेली की यह कम्पनी अपने अस्पताल संचालन करने के बाद से लगातार विवादों मे रही.. शुरूवाती दिनों मे शील ग्रूप ने अस्पताल की उपस्थिति पुस्तिका मे डाक्टरों व अन्य स्टाफ की फर्जी उपस्थिति दिखाकर प्रतिमाह लाखों रुपये का फर्जी वेतन स्वास्थ्य विभाग से लिया गया.. श्रीनगर मैडिकल कालेज मे कार्यरत चिकित्सकों की उपस्थिति सी0एच0सी0 जखोली मे चल रही थी. मैडिकल कालेज मे तैनात इन डाक्टरों को जानकारी भी नही थी कि उनके नाम से फर्जी उपस्थिति जखोली अस्पताल मे चल रह है. मीडिया मे पोल खुलने पर तत्कालीन जिला अधिकारी डा0 राघव लंगर ने सी एम ओ , उप जिलाधिकारी जखोली व अपर जिलाधिकारी रूद्रप्रयाग को लेकर तीन सदस्या जांच टीम गठित की और पन्द्रह दिन मे जांच रिपोर्ट सार्वजनिक करने का दावा किया पर तीन वर्ष का समय होने पर भी व जनता की भारी मांग को दरकिनार कर आज तक जांच रिपोर्ट को सार्वजनिक नही किया और न ही अस्पताल संचालन कर रही शील ग्रूप के खिलाफ कोई कार्यवाही की गयी. लगभग दो करोड रुपए से उपर का घोटाला यह कम्पनी स्वास्थ्य विभाग की मदद से कर पाक साफ हो गयी. मामले को ‘गुपचुप’ तरीके से निपटा लिया. विभाग व कम्पनी की मिलीभगत से लाखों के सरकारी धन का दुरुपयोग हो रहा है.. पी पी पी मोड मे संचालन करने के लिये विभाग के नियम है कम्पनी को 12 विशेषज्ञ चिकित्सक अस्पताल मे उपलब्ध करानाअनिवार्य है पर वर्तमान मे यहां सात ही चिकित्सक तैनात हैं. स्वास्थ्य विभाग द्वारा 25 लाख रुपये प्रतिमाह संचालन कर रही शील नर्सिंग ग्रुप को भुगतान किया जाता है परन्तु आश्चर्य की बात है कि 52 कर्मचारियों का भारी भरकम स्टाफ होने के बावजूद प्रसव के लिये आयी गर्भवती महिला को भी ए एन एम केन्द्र चौंरा रैफर किया जाता है.. मामूली इलाज को आये मरीज को भी जिला चिकित्सालय रूद्रप्रयाग भेजा जाता है. जखोली विकास खण्ड के108 ग्राम पंचायतों पर पचास हजार से अधिक आबादी का यह एक मात्र सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र है. डाक्टरों की कमी पूरी करने के उद्देश्य से सरकार ने इसका संचालन पी पी पी मोड पर दिया पर स्वास्थ्य सेवाओं का बेहतर होने के बजाय और बदतर हो चुकी हैं.जिसका सीधा प्रभाव यहां के नागरिकों के स्वास्थ्य पर पड रहा है. करोडों की चपत लगा चुकी यह कम्पनी स्वास्थ्य विभाग के लिए सोने का अण्डा देने वाली मुर्गी साबित हो रही है. हाल ही में आयोजित विधान सभा सत्र मे छेत्रीय विधायक भरत चौधरी ने अस्पताल मे चल रही अनियमितताओं को खिलाफ प्रश्न भी किया पर देखना है कि कांग्रेस सरकार की तरह भाजपा सरकार की भी ‘क्रपा’ शील ग्रुप पर बनी रहेगी या स्वास्थ्य सेवाओं मे को ई सुधार होगा..
प्रधान संघ अध्यक्ष जखोली महावीर सिंह पंवार और सामाजिक कार्यकर्ता वीरेन्द्र भट्ट का कहना है कि अस्पताल मे चल रहे भ्रष्टाचार और लचर स्वास्थ्य सेवाओं के खिलाफ कई बार आन्दोलन किये जा चुके हैं पर शासन व प्रशासन शील ग्रुप के खिलाफ कोई कार्यवाही नही करता है इससे यह मालूम पड़ता है कि यह सब सरकार की शह से हो रहा है.