अध्यक्ष की आड़ में, चुनाव जाएं भाड़ में

ऋषिकेश नगरपालिका अध्यक्ष ने समितियों का चुनाव रद्द कर रचा इतिहास

योगेश डिमरी/ऋषिकेश

धर्मशालाओं की संपत्ति को खुर्द-बुर्द करने में रोड़ा डालने वाली कर समिति के साथ बाकि समितियों के चुनावों को रद्द कर ऋषिकेश नगरपालिका अध्यक्ष दीप शर्मा ने 11 अगस्त २०१६ को एक इतिहास रचा। नगरपालिका की सात समितियों में प्रत्येक साल चुनाव करवाने का प्रावधान है, परंतु मई 2013 में आई पालिका सरकार में अध्यक्ष व सभासदों की तनातनी की वजह से पहली बार गठित समितियों का चुनाव ही सवा साल बाद अक्टूबर 2014 में हुआ। उसके बाद नई समितियों का चुनाव 2015 में होना था, परंतु पालिकाधीन संपत्ति की सर्वे होने के कारण इन समितियों के चुनाव जुलाई 2016 में शुरू हुए।
नहीं हुए चुनाव
बताते चलें कि नगर की संपत्तियों का सर्वे पालिका की लापवाही के कारण कई सालों से नहीं हो पाया है, जिससे पालिका के रिकार्ड में नगर में कई व्यक्तिगत संपत्तियों पर वर्तमान में असली मालिक का नाम दर्ज नहीं हो पाया है, लेकिन नाम वापिसी के दिन ही अध्यक्ष ने उन 11 सभासदों का चुनाव न करवाने के पत्र का हवाला देकर चुनाव स्थगित करवा दिए, जिन्होंने चुनाव करवाने की सिफारिश की थी। वहीं ताज्जुब तब है, जब अधिशासी अधिकारी वीएस चौहान इस चुनाव स्थगन फरमान को जारी करने से पहले ही पालिका से 2 बजे ही भाग खड़े हुए। अगले दिन शुक्रवार को वह पालिका में आए ही नहीं। जिस पत्र के आधार पर चुनाव को स्थगित करवाया गया, उसमें से एक सभासद उर्मिला देवी ने पत्रकार वार्ता में कबूला कि उनसे ये हस्ताक्षर एक महीने पहले ही करवाकर 10 अगस्त की गलत तिथि अंकित करवाई गई। उन्होंने यह भी कहा कि हस्ताक्षर करवाने अध्यक्ष के ही खास सभासद अशोक पासवान, तत्कालीन कर समिति अध्यक्ष दीपक धमीजा और भाजपा सभासद दल नेता शिव कुमार गौतम आए थे।
इस सम्बंध में पूर्व नगरपालिका अध्यक्ष वीरेंद्र शर्मा और स्नेहलता शर्मा ने कहा कि हमारे समय में कभी समितियों के चुनाव इस तरह तो रद्द नहीं करवाए गए और समितियों के चुनाव इस तरह रदद करवाना अधिकारों के हनन का मामला है। शहरी विकास सचिव डीएस गब्र्याल का कहना है कि समितियों के चुनावों से संबंधित कानून की जांच पड़ताल कर उचित कार्यवाही करेंगे।
जांच हुई पर आंच नहीं
तीसरी बार चुनकर जीतकर आए अध्यक्ष दीप शर्मा की इस तानाशाही में वर्तमान राज्य सरकार की भी भूमिका है। जहां इनके खिलाफ गढ़वाल कमिश्नर चंद्र सिंह नपलच्याल ने दो बार अपनी जांच रिपोर्ट में इनको बर्खास्त करने की संस्तुति की है, वहीं सरकार मौन है। जानकर ताज्जुब होगा कि अध्यक्ष ने कर समिति के भंग होने की स्थिति में अपने पद का दुरुपयोग करते हुए नगर की एक संपत्ति का मामला जो न्यायालय में विचाराधीन है, को दादूबाड़ा ट्रस्ट के नाम चढ़ा दिया। कांग्रेस सभासद दल के नेता मनीष शर्मा, विकास तेवतिया, भाजपा सभासद हरीश तिवाड़ी व कविता शाह कहते हैं कि अध्यक्ष को अब अंदाजा हो गया है कि ये उनका आखिरी कार्यकाल है और अपने चहेतों को समिति में मनमाफिक पद न मिलने की आशंका में अकेले सर्वेसर्वा बन इन समितियों का खुलकर दुरुपयोग करेंगे।

अध्यक्ष को अब अंदाजा हो गया है कि ये उनका आखिरी कार्यकाल है और अपने चहेतों को समिति में मनमाफिक पद न मिलने की आशंका में अकेले सर्वेसर्वा बन इन समितियों का खुलकर दुरुपयोग करेंगे।

Read Next Article Scroll Down

Related Posts