प्रमोटी आईएएस और सीधी भर्ती वाले आईएएस अफसरों के बीच की खाई दिन-ब-दिन चौड़ी होती जा रही है। इस आग में कुछ सीधी भर्ती आईएएस अफसर ही घी डालने का काम कर रहे हैं।
कुछ दिनों से अपनी उपेक्षा के कारण आवाज उठाने वाले प्रमोटी आईएएस अफसरों की नाराजगी जब मुख्यमंत्री से मुलाकात के बाद भी नहीं थमी तो इन अफसरों ने अपनी अलग यूनियन बनाने की राह पर काम करना शुरू कर दिया है।
दरअसल नाराजगी को दूर करने के लिए आईएएस एसोसिएशन के अध्यक्ष तथा अपर मुख्य सचिव रणवीर सिंह की अगुवाई में शुक्रवार 13 अप्रैल को एक बैठक रखी गई थी। किंतु यह बैठक नहीं हो पाई। इससे प्रमोटी आईएएस अफसरों को लगता है कि उनकी मांगों को ध्यानपूर्वक प्राथमिकता से नहीं लिया जा रहा है। यह बैठक 17 अप्रैल तक टलने के बाद प्रमोटी आईएएस अफसरों का गुस्सा और भड़क गया है।
17 अप्रैल को मंगलवार है तथा इस दिन बाहरी मुलाकातियों के प्रवेश पर रोक रहती है। इसलिए इस दिन अफसर थोड़ा फुर्सत में भी रहते हैं।
आग भड़काने में इनका भी हाथ
इस आग को भड़काने के पीछे सीधी भर्ती वाले आईएएस अफसरों का ही एक और गुट भी माना जा रहा है। दरअसल उत्तराखंड सचिवालय में बिहार से संबंध रखने वाले सीधी भर्ती के आईएएस अफसर दो गुटों में बंट गए हैं।
मुख्य सचिव उत्पल कुमार, राधिका झा तथा नितेश झा की अगुवाई वाला एक गुट है। यह माना जाता है कि इस ग्रुप को मुख्यमंत्री सर्वाधिक तवज्जो देते हैं। दूसरे ग्रुप में बिहार से संबंधित वह अफसर हैं, जिन्हें मुख्यमंत्री ने पिछले कुछ समय से तवज्जो देना कम कर दिया है। इन अफसरों के भी प्रमोटी आईएएस अफसरों की लड़ाई में साथ देने से एसोसिएशन के सचिव आनंदवर्धन और अध्यक्ष रणवीर सिंह की पेशानी पर बल पड़ गए हैं।
प्रमोटी आईएएस के गुट के अगुआ हरवंश सिंह चुघ और विनोद रतूड़ी सरीखे गरम दल के अफसर माने जा रहे हैं। यदि 17 अप्रैल को कोई नतीजा नहीं निकला तो मुख्यमंत्री की अपील के बावजूद यूनियन के दो फाड़ होने की आशंका बलवती हो गई है।
प्रमोटी IAS की मुख्य शिकायतें
प्रमोटी आईएएस अफसरों की मुख्य शिकायत यह है कि उन्हें लंबे समय तक बिना काम के बिठाया जाता है। अथवा महत्वहीन महकमा थमा दिया जाता है। जबकि अन्य अफसरों को महत्वपूर्ण महकमें सौंपे जाते हैं।
वित्त सेवा के अफसरों को प्रमोटी आईएएस अफसरों से अधिक तवज्जो दिए जाने से भी प्रमोटी अफसर नाराज हैं। स्वास्थ्य तथा ऊर्जा विभाग में वित्त सेवा के दो अफसरों की नियुक्ति से भी प्रमोटी आईएएस अफसरों में उबाल है। जबकि अपर सचिव अतुल गुप्ता को पिछले काफी लंबे समय से मात्र पुनर्गठन विभाग थमाकर भुला दिया गया है।
इसी तरह सचिवालय संवर्ग से अपर सचिव पद पर पदोन्नत रमेश कुमार को भी 1 महीने से अधिक समय तक खाली रखा गया और अब उनके पास सिर्फ प्रोटोकॉल विभाग का ही जिम्मा है।
प्रमोटी आईएएस अफसरों की एक और शिकायत
यह है कि जब भी कोई अनियमितता अथवा घोटाला प्रकाश में आता है तो सीधी भर्ती वाले आईएएस अफसरों को तो नोटिस तक नहीं भेजा जाता अथवा उन्हें तुरंत क्लीन चिट दे दी जाती है जबकि प्रमोटी आईएएस अफसरों को लंबे समय से जांच में उलझा कर रखा गया है।
देखना यह होगा कि 17 अप्रैल को आयोजित आईएएस एसोसिएशन की बैठक में क्या निर्णय निकलता है !